भोपाल। मप्र की शिवराज सरकार विधानसभा के मायने ही बदलने की कोशिश कर रही है। वो नहीं चाहती कि सिंहस्थ में हुए भ्रष्टाचार पर विधानसभा में चर्चा हो। उसके 2 मंत्रियों ने विधायकों को सिंहस्थ पर चर्चा करने से साफ तौर पर रोक दिया। दरअसल, सरकार को पता है कि यदि मामला विधानसभा में उठा तो यह नेशनल लेवल तक गूंजेगा। दिल्ली में लोकसभा भी चल रही है अत: समय बहुत संवेदनशील है। एक रणनीति के तहत कुछ ऐसा किया गया कि मामला कुछ समय तक के लिए दब जाए। भले ही जांच और कार्रवाई हो परंतु मीडिया ट्रायल ना हो पाए।
पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री गोपाल भार्गव और संसदीय कार्यमंत्री डॉ.नरोत्तम मिश्रा ने सिंहस्थ को लेकर विस में मंगलवार को अनुपूरक बजट चर्चा में लगाए आरोपों पर कांग्रेस पर पलटवार का प्रयास किया। डॉ.मिश्रा ने कहा कि पूरे आरोप गलत हैं। एक भी प्लेट या मटका नहीं खरीदा। 16 सौ रुपए में कोई प्लेट नहीं ली। यदि चवन्नी का भी भ्रष्टाचार हुआ है तो कोर्ट या लोकायुक्त जाएं। वहां प्रमाण क्यों नहीं रखते हैं। इन्हें किसने रोका है। यहां बता दें कि ईओडब्ल्यू 2 मामले दर्ज कर चुका है।
बाला बच्चन ने कहा कि कोर्ट की अलग प्रक्रिया है। वहां भी जाएंगे पर विधानसभा की अलग प्रक्रिया है। यह सदन किस लिए है। इस पर भार्गव ने कहा कि यदि गलत हुआ है तो आपके पास दस फोरम हैं। कोर्ट, लोकायुक्त, ईओडब्ल्यू या अन्य किसी एजेंसी में जाएं। हंगामा बढ़ता देख अध्यक्ष डॉ.सीतासरन शर्मा को मंत्रियों और विधायकों से कहना पड़ा कि सिंहस्थ पर बहस नहीं हो रही है।
प्लेट, चम्मच व घड़े ही मुद्दे हैं?
भार्गव ने सिंहस्थ की प्लेट व चम्मच को लेकर एक टिप्पणी कर दी, जिसको लेकर जमकर हंगामा हुआ। अध्यक्ष ने उन शब्दों को तो विलोपित कर दिया पर कांग्रेस ने आपत्ति उठाई। भार्गव ने फिर कहा कि पहले दिन से प्लेट, चम्मच और घड़े की चर्चा हो रही है, इसके अलावा कोई लोकहित का विषय नहीं है? भार्गव की टिप्पणी को लेकर बाला बच्चन ने माफी मांगने की मांग उठाई। डॉ.मिश्रा ने कहा कि कोई माफी नहीं मांगी जाएगी। कोई असभ्य बात नहीं कही।