
एक बार पहले भी इसमें से कुछ हिस्सा गिरा था, लेकिन बाद में उसे प्लास्टर कर दिया गया। छज्जा नीचे झूल रहा है। अब पुरातत्व विभाग इसे पूरी तरह तोड़कर वापस नए सिरे से बनाने की तैयारी कर रहा है। घटना के वक्त वहां कोई भी मौजूद नहीं था।
कब और कैसे बना राजवाड़ा
मल्हारराव होलकर को तीन अक्टूबर 1730 को मराठों ने उत्तर भारत के सैनिक अभियानों का नेतृत्व दिया। सैनिक अभियानों की व्यस्तता के कारण उन्होंने स्थायी निवास के लिए खासगी जागीर देने के लिए छत्रपति साहू से निवेदन किया। पेशवा बाजीराव ने सन् 1734 ई में मल्हार राव की पत्नी गौतमाबाई होल्कर के नाम खासगी जागीर तैयार करवायी, जिसमें इंदौर भी था। सन् 1747 में भव्य राजप्रसाद के निर्माण शुरू किया जो राजबाड़ा कहलाया।