
मंडला में राज्य अध्यापक संघ के प्रांतीय आव्हान पर मण्डला जिले के अध्यापकों ने रिपटा घाट के टीन शेड में सुंदर काण्ड के पाठ के साथ धरना का शुभारम्भ किया। धरना पर जिले के विभिन्न ब्लाकों से आये अध्यापकों ने सरकार की अध्यापक विरोधी नीति पर जमकर भड़ास निकाली। अध्यापकों ने सरकार के इस रवैये पर गहरी नाराजगी व्यक्त की कि मुख्यमंत्री अध्यापकों की लगातार अनदेखी कर रहे हैं। वे अध्यापकों के बारे में घोषणा कुछ और करते हैं और आदेश कुछ और करतेे हैं। जिससे अध्यापकों की समस्याएं सुलझने की बजाय उलझते जा रही है।
जिला शाखा अध्यक्ष डी.के.सिंगौर ने कहा कल्याणकारी राज्य की कल्याणकारी सरकार का रवैया अध्यापकों के प्रति छल और कपट भरा है। वित्त विभाग में एक से एक वित्त के जानकार अधिकारी कर्मचारी है जो राज्य शासन के कर्मचारियों के लिये कठिन और उलझे वेतनमानों का निर्धारण करते है लेकिन अध्यापकों का जो गणना पत्रक जारी किया गया उसमें और अधिक विसंगतियां जानबूझकर डाली गई। ताकि अध्यापकों को चुनाव तक इसी प्रकार उलझाये रखा जा सके।
अध्यापकों के आग्रह पर धरना स्थल पर जिला पंचायत अध्यक्ष श्रीमती सम्पतिया उइके पहुंची अध्यापकों ने गुलदस्ता भेंट कर उनका अभिनदंन किया। और शिक्षामंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा। जिला पंचायत अध्यक्ष ने धरना स्थल से ही शिक्षामंत्री कुंवर विजय शाह से दूरभाष पर बात की और कहा कि मॉ नर्मदा के तट पर बड़ी संख्या में एकत्रित अध्यापकों ने ज्ञापन सौंपकर मांग की है कि अध्यापकों की सेवाएं पंचायत विभाग से हटाकर शिक्षा विभाग में ली जायें। अध्यापकों ने यह भी मांग की है कि विद्यालय में ड्रेस कोड लागू करने से पहले इनका शिक्षा विभाग में संविलयन कर दिया जाये ताकि शिक्षक और अध्यापकों को एक सी ड्रेस कोड लागू की जा सके।
शिक्षा मंत्री जी ने जिला पंचायत अध्यक्ष से कहा कि आप अध्यापकों का ज्ञापन अपने लेटर पेड में संलग्न कर कल ही मुझे भेज दें मैं इस पर कार्रवाई आगे बढ़ाउंगा। शिक्षामंत्री और जिला पंचायत अध्यक्ष की सकारात्मक वार्तालाप से उपस्थित अध्यापक काफी उत्साहित हुये और शिक्षामंत्री से तत्काल पहल करने पर उन्है धन्यवाद ज्ञापित किया। धरना स्थल पर मण्डला नगरपालिका उपाध्यक्ष नरेश कछवाहा और बम्हनी बंजर नगरपालिका अध्यक्ष कुसुम लाल झारिया और उपाध्यक्ष जगदीश हरदहा भी उपस्थित हुये। अध्यापकों ने मुख्यमंत्री के नाम सम्बोधित ज्ञापन एसडीएम के प्रतिनिधि नायब तहसीलदार शांतिलाल विश्नोई को सौंपा।