सत्ता में रहकर भुट्टे छीलना शोभा नहीं देता कैलाश जी

उपदेश अवस्थी @लावारिस शहर/भोपाल। जैसी की योजना थी कैलाश विजयवर्गीय की भुट्टा पार्टी चर्चा में आ गई। इसमें कैलाश विजयवर्गीय ने राहुल गांधी पर एक मजेदार ताना मारा। उन्होंने कहा कि राहुल गांधी यदि संसद में सोते हैं तो सोने के समय क्या करते हैं। उन्होंने कहा कि राहुल गांधी पर रिसर्च होना चाहिए कि वे बैंकाक क्यों जाते हैं? लोकसभा में क्यों सोते हैं और सोते समय क्या करते हैं? इन सब बातों पर स्टडी होना चाहिए।

निश्चित रूप से विरोधी नेता की छोटी सी गलती को भी उसके लिए तनाव बना देना, राजनीति का बेहतरीन प्रदर्शन है, लेकिन इन दिनों देश एक दूसरे तनाव से भी गुजर रहा है। पहली बार ऐसा हो रहा है कि अमरनाथ यात्रा लगातार कई बार रोकी गई। कश्मीर में तनाव है। सेना पर हमले हो रहे हैं। प्रमाणित हो गया है कि सबकुछ पाक प्रायोजित है। आज तो उन्होंने एक जवान की आखें ही फोड़ दीं। बेहतर होता कि कैलाश विजयवर्गीय की तीखी वाणी इस विषय पर सुनाई देती। कैलाश उसी पार्टी के महासचिव हैं जो एक सिर के बदले 10 सिर लाने की बात करती थी। दलित और साम्प्रदायिक भी 2 बड़े विषय हैं। पूरा देश झुलस रहा है। 

पता नहीं भुट्टों के साथ कैलाश विजयवर्गीय क्या पका रहे थे और क्या कुछ उन्होंने मीडिया के सामने परोस दिया। अब भुट्टे खाए हैं तो मूल्य भी चुकाना ही पड़ेगा, सो बयान छाप दिया गया। कैलाश विजयवर्गीय अब राष्ट्रीय महासचिव हैं। लोग उम्मीद करते हैं कि तो उत्तराखंड की तोड़फोड़ वाली राजनीति या भुट्टा पार्टी जैसी चुटकुलेबाजी वाली पॉलिटिक्स से बाहर निकलकर कुछ प्रभारी बातचीत भी करेंगे। कुछ ऐसा जो समाज के लिए हितकारी हो, देश के लिए लाभदायक हो। राहुल गांधी पर रिसर्च की मांग समझ से परे है, इतना ही इंट्रस्ट है तो खुद कर लो, जो रिपोर्ट आए उसे जारी करो। तब समझ भी आएगा कि कुछ काम किया। खाली बैठे बैठे भुट्टे छीलना सत्तारूढ़ दल के नेताओं को शोभा नहीं देता। 

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