
यह कटु सत्य है कि कुछ जिलो को छोड़कर आज अब भी कई जिलो में राज्य अध्यापक संघ की जिला व ब्लाक कार्यकारणी सुस्त पड़ी हुई है। एक गणना पत्रक की लड़ाई ही रास की आखरी लड़ाई नही है और ऐसा भी नही है कि गणना पत्रक विसंगति रहित जारी होने के बाद सुस्त पड़ी कार्यकारणीयो में जान एकाएक लोट आएगी।
रास के प्रति आज भी प्रदेश के हर जिलो ब्लाकों में अध्यापको की आस्था व् विश्वास है किन्तु उदासीन नेतृत्त्व की वजह से आज हर कही अध्यापक भटका हुआ है। प्रांतीय नेतृत्त्व को यदि मजबूती देना है तो बुनियाद को चुस्त दुरुस्त करना होगा। इस पर प्रांतीय नेतृत्त्व गहन चिंतन मनन करे तो हम बेहद मजबूत स्थिति में आ सकते है और सही दिशा जा सकते है। रास से जुड़े हर अध्यापक साथी को रास की ब्लाक से लेकर प्रान्त की कोई गलत नीति हो तो उसकी आलोचना का पूरा अधिकार है किन्तु रास की अस्मिता को उछालने का किसी को भी हक नही होना चाहिए ?
आज यदि कई जिलो व् ब्लाको में प्राय: यह देखने में आता है की आम अध्यापक तो रास के साथ है किन्तु ब्लाक जिलो पर जिले प्रान्त पर उदासीनता का ठीकरा फोड़ कर इतिश्री कर रहा है आम अध्यापक इधर उधर भटकने पर मजबूर है। रास में आज भी बहुत ऊर्जावान कर्मठ साथी मौजूद हैं बस उन्हें सही दिशा देने वाले निचे से ऊपर तक ईमानदार नेतृत्त्व की आवश्यकता है। रास की रफ़्तार को गतिमान बनाना है तो सुस्त पड़ी कार्यकारणी का ऑपरेशन यथा शीघ्र करना होगा अन्यथा बागड़ ही जब खेत को खाने लग जाये तो फिर कोई करे भी तो क्या करेगे ?
अरविन्द रावल
51 गोपाल कालोनी झाबुआ