मुंबई। इंवेस्टमेंट योजनाओं में ब्याजदर कम होने के कारण लोगों का रुझान निवेश योजनाओं से हटता जा रहा है। ताजा सर्वे के अनुसार 47 प्रतिशत कामकाजी युवाओं ने अपने रिटायरमेंट के लए लांगटर्म इंवेस्टमेंट नहीं किया है। 44 प्रतिशत कामकाजी युवा ऐसे हैं जो पहले इन्वेस्ट कर रहे थे परंतु अब बंद कर दिया है। इसमें से कुछ महंगाई के मारे हैं तो कुछ कम ब्याजदर के कारण परेशान हैं। लोग प्राइवेट कंपनियों की ज्यादा ब्याज वाली योजनाओं में पैसा लगा रहे हैं, या फिर गोल्ड और प्रॉपर्टी में निवेश करना पसंद कर रहे हैं।
एचएसबीसी की रिपोर्ट में यह बात कही गई है। इस रिपोर्ट को ऑनलाइन सर्वे के आधार पर इपसोस मोरी ने तैयार किया। यह सर्वे सितंबर और अक्टूबर 2015 में किया गया। इसमें 17 देशों के 18,207 लोगों की प्रतिक्रिया ली गई।
इन देशों में अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील, कनाडा, चीन, मिस्र, फ्रांस, हांगकांग, भारत, इंडोनेशिया, मलेशिया, मेक्सिको, सिंगापुर, ताइवान, संयुक्त अरब अमीरात, ब्रिटेन और अमेरिका शामिल हैं। रिपोर्ट में चिंताजनक पहलू यह है कि भारत में जिन 44 फीसद लोगों ने भविष्य के लिए बचत शुरू की थी, उन्होंने उसे रोक दिया है या ऐसा कर पाने में कठिनाइयों का सामना कर रहे हैं।
काम करने वाले 10 में से एक व्यक्ति को कभी भी रिटायरमेंट के बारे में पेशेवर सलाह या जानकारी नहीं मिली। रोचक यह है कि रिटायरमेंट पर सलाह या जानकारी के सबसे अहम स्रोत मित्र और परिवार के सदस्य बने। करीब 80 फीसद ने सेवानिवृत्त होने से पहले मित्रों और परिवार से सलाह ली।
जबकि 82 फीसद को रिटायरमेंट के बाद इनकी सलाह मिली। केवल 40 फीसद सेवानिवृत्त होने से पहले और 53 फीसद सेवानिवृत्त होने के बाद पेशेवरों से सलाह प्राप्त करते हैं। इनमें वित्तीय सलाहकार, सरकारी एजेंसी, इंश्योरेंस ब्रोकर्स सहित अन्य शामिल हैं।