ऐसे फैसले तो पूरे देश के लिए हों

Bhopal Samachar
राकेश दुबे@प्रतिदिन। राष्ट्रीय हरित अधिकरण ने दिल्ली में 10 साल पुराने  डीजल वाहनों पर रोक लगाने का फैसला किया है। यह फैसला उन तमाम फैसलों की कड़ी में है, जो दिल्ली और बाकी देश में भी प्रदूषण घटाने के लिए किए जा रहे हैं। एनजीटी की इच्छा यह है कि देश के 15 बड़े शहरों में दस साल से पुराने डीजल वाहनों पर रोक लगे|  देश के सभी आरटीओ से एनजीटी ने कहा है कि वह दस साल से पुराने डीजल वाहनों का रजिस्ट्रेशन रद्द करके इसकी जानकारी ट्रैफिक पुलिस को दे, ताकि वह इस फैसले से अवैध हो गए वाहनों का सड़क पर आना रोक सके। वैसे यह देखने की बात है कि इस फैसले से प्रदूषण पर कितना असर पड़ेगा। इसकी कई वजहें हैं, जिनमे राजनीतिएक बड़ी वजह है । जिनके चलते  दस साल से पुराने डीजल वाहनों को रोकना संभव नहीं होगा।

अच्छी बात यह है कि एनजीटी प्रदूषण घटाने के लिए सक्रिय है और उसके कई फैसलों का अच्छा असर भी देखने को मिला है। पुराने वाहनों को सड़कों से हटाने के नियम कई देशों में हैं और भारत में भी उन्हें लागू करने में कोई हर्ज नहीं है। तकनीक दिनों-दिन तरक्की कर रही है, जिस कारण और बेहतर हालत में होने की वजह से नए वाहन पुराने वाहनों के मुकाबले कम प्रदूषण पैदा करते हैं। इस नजरिये से भी ऐसे नियमों की प्रासंगिकता है। मगर ऐसे कदम तभी उपयोगी हो सकते हैं, जब वे किसी व्यापक योजना का हिस्सा हों, वरना उनसे विवाद ज्यादा पैदा होते हैं और फायदा कम होता है।

ऐसे मुद्दों पर आम जनता को विश्वास में लेना और उससे चर्चा करना बहुत जरूरी है, ताकि उसे यह विश्वास हो कि ऐसे कदमों से भले ही असुविधा हो रही हो, मगर वास्तव में इससे फायदा है। जब तक पर्यावरण से जुड़े मुद्दों को आम जनता में गैर-जरूरी मानकर उनकी उपेक्षा की जाती रहेगी, तब तक पर्यावरण की सफाई का काम सफल नहीं हो सकता। वाहनों पर प्रतिबंध अपेक्षाकृत आसान है, लेकिन उससे होने वाले फायदे कितने हैं इस पर चर्चा जरूरी है ।जिनके पास भी दस साल से पुराने डीजल वाहन हैं, उनमें से काफी बड़ी संख्या में लोग नए वाहन खरीदेंगे और इससे नए वाहनों की बिक्री बढ़ेगी। अच्छे मानसून, सातवें वेतन आयोग और इस फैसले से वाहन उद्योग को जल्द ही अच्छे दिन देखने को मिल सकते हैं।
श्री राकेश दुबे वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं।        
संपर्क  9425022703        
rakeshdubeyrsa@gmail.com
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