भोपाल। राजधानी के ताल तलैया बचाए रखने के लिए वर्षों से मुहिम जारी है लेकिन मुंगालिया छाप गांव के सरपंच लीला किशन पाटीदार ने गांव में बने एक वर्षों पुराने तालाब पर कब्जा कर लिया और खुलेआम खेती कर रहा है। यह सिलसिला वर्षों से जारी है। ग्रामीणों ने कई शिकायतें भी कीं, परंतु कोई कार्रवाई नहीं हुई। पिछले दिनों सरपंच और उसके घरवालों ने पटवारी की पिटाई लगा दी। तब मामले का खुलासा हुआ। पटवारी ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि सरपंच ने आईटीआई के लिए आरक्षित की गई सरकारी जमीन पर भी कब्जा कर लिया है।
सरकारी रिकार्ड के अनुसार हुजूर तहसीलदार सुधीर सिंह कुशवाह को ग्रामीणों ने शिकायत की है कि गांव के ही कुछ लोगों ने तालाब की जमीन पर कब्जा कर उसमें खेती शुरू कर दी है। तहसीलदार के निर्देश पर पटवारी धर्मेंद्र कुशवाहा जब मौके पर जांच के लिए पहुंचे तो वहां अवैध कब्जे की पुष्टि हुई। पटवारी ने इसकी रिपोर्ट तहसीलदार को सौंप दी। इससे नाराज होकर सरपंच लीला किशन पाटीदार ने पटवारी के साथ मारपीट की। खजूरी थाने में इस पर एफआईआर भी दर्ज हुई।
ग्रामीणों का कहना है कि वे पहले भी प्रशासन को तालाब की जमीन पर अवैध कब्जे की शिकायत कर चुके थे लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। ग्रामीणों का तर्क है कि पिछले दो साल में यहां पांच पटवारियों का स्थानांतरण हो चुका है लेकिन अवैध कब्जा नहीं हटाया जा सका। उधर, तहसीलदार सुधीर कुशवाहा का कहना है कि पहले क्या हुआ, यह उनकी जानकारी में नहीं है लेकिन अब इस मामले में जल्द ही कार्रवाई होगी।
ग्रामीणों ने प्रशासन को की गई शिकायत में यह भी बताया है कि सरपंच व उसके परिवार वाले आसपास के किसानों को भी तालाब का पानी लेने नहीं देते। खासतौर पर रबी की फसल की सिंचाई में ग्रामीणों को बहुत दिक्कत होती है। सरपंच तालाब के पानी पर भी एकाधिकार चाहते हैं। पटवारी ने भी प्रशासन को सौंपी गई रिपोर्ट में इस बात का उल्लेख किया है। इसके अलावा रहवासी भी कई बार इस मामले को लेकर अफसरों को शिकायत कर चुके हैं , लेकिन अब तक कोई सुनवाई नही हो सकी है।
जल्द कार्रवाई करेंगे: कलेक्टर
बाढ़ राहत का काम पूरा होते ही प्राथमिकता के साथ तालाब का अवैध कब्जा हटाया जाएगा। तहसीलदार कुशवाह सहित हमारा अमला वहां स्थिति देखकर आ चुका है। ये प्रकरण हमारी जानकारी में है। इस पर जल्द ही कार्रवाई की जाएगी।
निशांत वरवड़े, कलेक्टर
जमीन हमने लीज पर ली है: सरपंच
अवैध कब्जे की बात गलत है। हमारे परिवार ने यह जमीन पंचायत से लीज पर ली थी। गांव का सरकारी रास्ता कई सालों से बंद है, उस पर प्रशासन का कोई ध्यान नहीं है। ये हमें बेवजह परेशान करने की कोशिश है।
लीला किशन पाटीदार, सरपंच