
मंगलवार को शासन ने एडीएम दीपक सिंह का शपथ-पत्र देते हुए याचिका खारिज करने की मांगी की थी। बुधवार सुबह साढ़े 10 बजे हाई कोर्ट में याचिका पर बहस शुरू हुई, जो करीब सवा 12 बजे तक चली। एडवोकेट माथुर ने कहा कि प्रशासन धारा 144 के तहत प्रतिबंधात्मक आदेश ऐसे जारी कर रहा है जैसे ये रुटीन आदेश हो। वह लोगों के बोलने, एकत्र होने, अभिव्यक्ति पर रोक लगा रहा है। सरकार लोकतंत्र ही खत्म कर रही है। माथुर ने प्रशासन द्वारा जारी प्रतिबंधात्मक आदेश पढ़कर सुनाए और कहा कि सभी आदेश एक जैसे हैं। इसमें तारीख के सिवाय कुछ नहीं बदला।
अधिकारियों को एक साल की ट्रेनिंग दो
एडवोकेट माथुर ने कहा कि प्रतिबंधात्मक आदेश किन परिस्थितियों में जारी किया जा सकता है यह सुप्रीम कोर्ट के न्याय दृष्टांतों में स्पष्ट है। उन्होंने कई न्याय दृष्टांत पेश किए। आगे कहा कि अधिकारियों को यह पता ही नहीं है कि धारा-144 किस स्थिति में लागू की जाना चाहिए। सरकार को इन अधिकारियों को इस तरह के आदेश जारी करने की कम से कम एक साल की ट्रेनिंग देना चाहिए।