नई दिल्ली। साल 2004 में दो महिलाओं को आईटी एक्ट के तहत अवैध रूप से गिरफ्तार करने और उन्हें हिरासत में रखने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने मध्यप्रदेश पुलिस को कड़ी फटकार लगाई है। सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ ने आरोपी मां-बेटी को राहत प्रदान करते हुए उन पर दर्ज मुकदमे को खारिज कर दिया है।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पुलिस ने आईटी एक्ट के तहत जो मुकदमा उक्त दोनों मां-बेटी पर बनाया था, वह मामला उन पर बनता ही नहीं था। इसलिए उन पर दर्ज मामले को खारिज किया जाता है। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में राज्य सरकार के प्रति गहरी नाराजगी जाहिर करते हुए उस पर पांच लाख रुपये का जुर्माना लगा दिया है। कोर्ट ने राज्य सरकार को आदेश दिया कि वह यह राशि पीड़ित महिलाओं को मुआवजे के तौर पर दे।
पेश मामले में पुणे निवासी रीनी गौहर व उनकी मां की ओर से सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की गई थी। जिसमें उन पर वर्ष 2014 में भोपाल में आईटी एक्ट की धारा 66 ए के तहत दर्ज किए गए मुकदमे को रद्द किए जाने की मांग की गई थी।
याचिकाकर्ता का कहना था कि भोपाल पुलिस ने कम्प्यूटर की हेरा-फेरी से संबद्ध एक मामले में उन पर आईटी एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज कर लिया। जबकि आईटीएक्ट का मामला नहीं बनता। इतना ही नहीं भोपाल पुलिस अवैध रूप से उन्हें रात में पुणे से गिरफ्तार कर भोपाल ले आई और वहां उन्हें 10 दिन तक अवैध रूप से पुलिस हिरासत में रखा। लिहाजा, उक्त मामले को रद्द करने के साथ-साथ आरोपी अधिकारियों के खिलाफ न केवल कार्रवाई की जाए बल्कि उन्हें इस मामले में मुआवजा भी दिलवाया जाए।