राकेश दुबे@प्रतिदिन। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ दुनिया में कायम भारत की धाक को संघ परिवार लंबा बनाए रखना चाहता है। इस प्रयास में संघ परिवार नोबल सम्मानों की तर्ज पर भारत की ओर से विश्व स्तरीय सम्मान शुरू करने की रणनीति बना रहा है। इस विश्व स्तरीय सम्मान के जरिए संघ का प्रयास भारत की विचार परंपरा एवं संस्कृति को दुनिया के सामने रखने की है। बताया जा रहा है कि इस विश्व स्तरीय सम्मान की शुरुआत का प्रयास सिरे चढ़ा तो संघ की तैयारी इसे काशी विश्वविद्यालय के सौंवीं सालगिरह वर्ष साल में ही कार्यक्रम से शुरू करने की है।
इस प्रयास को परवान चढ़ाने के लिए बीते सोमवार को संघ के आनुशांगिक संगठन संस्कार भारती के नेतृत्व में संघ विचारकों की एक अहम बैठक दिल्ली स्थित इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र में हुई थी। बताया जा रहा है कि लंबी चली इस मैराथन बैठक में संघ के सह सरकार्यवाह कृष्ण गोपाल भी मौजूद थे। सूत्र बताते हैं कि नोबल की तर्ज पर अपना सम्मान शुरू करने के लिए जो चर्चा हुई है उसमें सरकार की मदद के बिना प्रयास शुरू करने पर जोर दिया गया है। सम्मान को विश्वस्तरीय एवं क्रेडिबल बनाने के लिए राशि का प्रावधान भी उतना ही रखने का विचार है जितना की नोबेल सम्मान में मिलता है। इसके लिए जनता के सहयोग से 200 करोड़ का फंड जुटाने की रणनीति बनी है।
सम्मान की श्रेणी में नोबेल की तरह ही शांति, सामाजिक और आर्थिक विषयों को रखा जाएगा। शांति पुरस्कार महात्मा बुद्ध के नाम पर शुरू करने का विचार है। तो अन्य सम्मानों के लिए महात्मा गांधी, सरदार बल्लभ भाई पटेल और बल्लभाचार्य के नाम का सुझाव है। महिलाओं क्षेत्र के सम्मान के लिए झांसी की रानी और सती सावित्री के नाम का सुझाव है। बताया जा रहा है कि इस प्रयास को अतुलनीय बनाने के लिए संघ ने अपने अन्य सभी विचारकों से भी अहम सुझाव मागें हैं। संघ के एक शीर्ष अधिकारी का कहना है कि यदि उनका प्रयास परवान चढ़ा तो भारत की संस्कृति एवं विचार परंपरा के लिए बड़ा कदम होगा।
श्री राकेश दुबे वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं।
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