
उम्मीद है की प्रदेश के शिक्षा मंत्री जब स्वयं बयान दे रहे हैं व एक नामी व प्रमाणिक अखबार "नई दुनिया" ने उसे स्थान दिया है तो निश्चित ही खबर सच्ची व प्रमाणिक होगी। ये ख़बर उन आम अध्यापकों के लिए एक बहुत ही सुकूनदायक है जो बरसों से अपने घर व् परिवार के साथ रहते हुए अपने गृह जिले के पास या गृह ग्राम में पदस्थापना के सपने संजोये हुए हैं।
लेकिन इससे पहले की ये नीति लागू हो, मैं ट्रांसफर चाहने वाले अध्यापक संवर्ग की ओर से संगठन के बुद्धिजीवियों, रणनीतिकारों व् अध्यापक नेताओ से अनुरोध करना चाहूँगा की वे इस अवसर का लाभ अपने भाइयो को दिलाने के लिए गतवर्ष की उस भेद-भाव पूर्ण ट्रांसफर पालिसी का एक बार पुनः अध्ययन कर लेवें* जिसमें इतने बंधन व् प्रतिबन्ध थे की वो पालिसी एक मज़ाक बन गई थी व् बहुत ही कम लोग उस सुविधा का लाभ उठा पाये।
गत वर्ष सन् 2015 में लागू हुई उस विवादास्पद पालिसी के कुछ प्रावधान निम्न थे-
1 *ट्रान्सफर चाहने वाला अध्यापक यदि प्राथमिक शाला में पदस्थ हो तो उस शाला में 2 से अधिक शिक्षक पदस्थ होने चाहिए और यदि वह माध्यमिक शाला में हो तो कम से कम 3 शिक्षक पदस्थ होने चाहिए तभी उसे अनापत्ति प्रमाण पत्र मिलेगा।*
2 ट्रान्सफर चाहने वाला अध्यापक यदि हाई स्कूल में पदस्थ हो तो उस शाला में उस विषय को पढाने वाले 2 से शिक्षक अनिवार्य रूप से पदस्थ होने चाहिए।
3 *अनापत्ति प्रमाण पत्र भी 4 स्थानों से लेना होते थे। पहले शाला स्तर से प्रधानपाठक द्वारा, संकुल स्तर से प्राचार्य द्वारा, ब्लाक स्तर से बी ई ओ द्वारा और फिर जिला स्तर से डी ई ओ द्वारा।*
4 रिक्त स्थानो को ऑनलाइन ही चयन किया जाना था । जबकि रिक्त स्थान की जो सूची ऑनलाइन दिखाई गई थी वह भी त्रुटिपूर्ण थी व् पूरे रिक्त स्थान दिखाए नही गए थे।
5 *म्यूच्यूअल ट्रांसफर चाहने वाले किसी अध्यापक का म्यूच्यूअल यदि नगरीय निकाय में हो तो उसका म्यूच्यूअल भी नही हो पाएगा क्योंकि निति के अनुसार नगरीय निकाय से कोई अध्यापक जा तो सकता है लेकिन आ नही सकता।*
6 नगरीय निकाय से अनापत्ति प्रमाणपत्र जारी किये जाने पर रोक थी।
अतः सभी अध्यापकों का हितचाहने वाले बुद्धिजीवियों व् रणनीतिकारों से करबद्ध निवेदन है की कृपया निति के लागू होने से पहले जिम्मेदार अधिकारियो को इन सभी विसंगतियों से अवगत करा दिया जाय ताकि आवश्यक सुधार हो सके व् परेशान अध्यापकों को वास्तविक लाभ मिल सके*।
सुनील देशपांडे
वरिष्ठ अध्यापक
इंदौर