
महासंघ के अध्यक्ष एसएस जोगटा, विद्युत बोर्ड यूनियन के हीरा लाल वर्मा और फॉरेस्ट कारपोरेशन इंप्लाइज यूनियन के महामंत्री कमलेश शांडिल ने कहा कि प्रदेश में जिस तरह एचआरटीसी कर्मचारियों का दमन किया गया है, वह बेहद शर्मनाक है।
करीब बीस साल पहले शांता कुमार सरकार ने भी एस्मा और एनएसए जैसे कानूनों का सहारा लेकर कर्मचारियों का दमन करने का कुप्रयास किया था। लेकिन उसके बाद हिमाचल के राजनीतिक गलियारों से उसका नाम मिट गया। अगर वर्तमान सरकार ने भी अपने निर्णयों पर विचार कर कर्मचारियों का हित नहीं सोचा तो उसका हाल भी वैसा ही होगा।
सीएम की छवि हो रही खराब, बाली को हटाने की मांग
जोगटा ने कहा कि सीएम वीरभद्र सिंह कर्मचारी हितैषी हैं। एचआरटीसी प्रबंधन ने सीएम की जानकारी के बिना या तथ्य छुपाकर सीएम से मंजूरी ली होगी। जिस तरह बाली काम कर रहे हैं, उससे सीएम की छवि खराब हो रही है। कर्मचारी नेताओं ने सीएम से बाली को तत्काल परिवहन मंत्री के पद से हटाने की मांग भी की।
कोर्ट की आड़ में बदले की कार्रवाई
कर्मचारी नेताओं ने कहा कि कोर्ट ने हड़ताल न करने के लिए कहा था लेकिन सरकार को भी कहा था कि वह कर्मचारियों के साथ बैठकर मांगों पर चर्चा करे। लेकिन कोर्ट के आदेश की आड़ में एचआरटीसी प्रबंधन ने बदले की कार्रवाई की है।