
लालू मंगलवार को अपने आवास पर प्रेस से बात कर रहे थे। उन्होंने कहा कि केन्द्र ने केन्द्रीय विश्वविद्यालयों में एसोसिएट प्रोफेसर, प्रोफेसर की नियुक्ति में आरक्षण खत्म कर दिया है। केन्द्रीय विश्वविद्यालयों में पिछड़ी जातियों के लिए आरक्षित 58 प्रतिशत पद रिक्त हैं। नई व्यवस्था में यह बैकलॉग बिना आरक्षण के भरा जाएगा। प्रधानमंत्री को आगाह किया कि वह देश के संविधान से सरकार चलाएं न कि आरएसएस के विधान से।
राजद प्रमुख ने कहा कि केन्द्र सरकार अभी पिछड़ी जातियों का गला काट रही है। अगला निशाना अनुसूचित जाति और जन जाति हैं। दलितों और पिछड़ों पर धीरे-धीरे प्रधानमंत्री कैंची चला रहे हैं। जातीय जनगणना की रिपोर्ट अब तक जारी नहीं हुई। राजस्थान, गुजरात में सवर्णों को आरक्षण दिया तो हमने कुछ नहीं कहा, लेकिन पिछड़ों, दलितों की हकमारी बर्दाश्त नहीं होगी।
चुनाव के समय ही संघ प्रमुख मोहन भागवत ने साफ कर दिया था कि आरक्षण पर विचार होना चाहिए। उनके गुरु गोलवलकर ने भी अपनी पुस्तक बंच ऑफ थॉट में आरक्षण को गलत बताया है। केन्द्र उसी एजेंडे पर काम कर रही है।