इंदौर। यहां एक दलित महिला ने पुलिस का स्टिंग आॅपरेशन कर डाला। इस आॅपरेशन के बाद साबित कर दिया कि पुलिस ने एक युवक का अपहरण कर लिया है और उसे पुलिस थाने में ही पीटा जा रहा है। छोड़ने के लिए 60 हजार रुपए फिरौती मांगी जा रही है। महिला ने स्टिंग आॅपरेशन के बाद सीडी कोर्ट में पेश कर दी। कोर्ट ने टीआई समेत 3 अधिकारियों के खिलाफ मामला दर्ज कर जांच के आदेश दिए हैं।
मामला क्या है
कुलकर्णी भट्टा निवासी नीमा मेहरा के घर 29 मई को एमजी रोड थाने का आरक्षक जवाहरसिंह जादौन एक अन्य पुलिसकर्मी के साथ पहुंचा। दोनों ने उसके बेटे पवन के बारे में पूछताछ की और मारपीट करने लगे। वह नहीं मिला तो वे पवन के छोटे भाई छोटू को साथ ले गए। जाते-जाते उन्होंने नीमा से कहा पवन को थाने ले आना और छोटू को ले जाना। नीमा ने तुरंत फोन कर पवन को बुलाया और थाने पहुंची। वहां उसे थाना प्रभारी बीएस रघुवंशी और आरक्षक जादौन मिले। उन्होंने पवन को थाने पर रोक लिया।
समस्या क्या है
24 घंटे बाद भी पुलिस ने उसे कोर्ट में पेश नहीं किया तो नीमा एक बार फिर थाने पहुंची। महिला का आरोप है कि जादौन ने बेटे को छोड़ने के बदले उससे 60 हजार रुपए मांगे। इस पर उसने एडवोकेट केके कुन्हारे के माध्यम से जिला कोर्ट में याचिका दायर की। जज आशुतोष अग्रवाल के आदेश पर एमजी रोड पुलिस से इस मामले में रिपोर्ट पेश की। इसमें पुलिस ने पवन को हिरासत में लेने से ही इंकार कर दिया।
ऐसे किया स्टिंग आॅपरेशन
पुलिस के इंकार के बाद नीमा एमजी रोड थाने पहुंची। उसने गुप्त कैमरे से वीडियो रिकॉर्डिंग की, जिसमें पुलिसकर्मी पवन को पीटते हुए दिख रहे थे। इसकी सीडी बनाकर कोर्ट में प्रस्तुत की गई तो पुलिस के झूठ पर जज भी चकित हो गए।
अब पुलिस के खिलाफ कार्रवाई
उन्होंने एडवोकेट विकास कुशवाह और ईश्वर प्रजापति को कमीशन बनाकर थाने में जांच के आदेश दिए। दोनों एडवोकेट को थाने में पवन तो नहीं मिला लेकिन वहां बंद कैदियों ने बताया दोपहर 12.30 बजे तक पुलिसकर्मी उससे पूछताछ के दौरान मारपीट कर रहे थे। कमीशन की रिपोर्ट के बाद जज ने टीआई और अन्य के खिलाफ जांच के आदेश दिए। उन्होंने एसपी (पूर्व) को यह आदेश भी दिया कि वे थाने के भीतर और आसपास लगे सीसीटीवी कैमरों के फुटेज की जांच कर 10 जून तक रिपोर्ट पेश करें।