गर्भवती होकर लौटतीं हैं महानगरों में नौकरी करने गईं आदिवासी लड़कियां

सिमडेगा/झारखंड। शहर में रहने वाली कई युवतियां अत्यंत गरीबी में जीवनयापन करने की वजह से महानगरों की ओर रूख कर रही हैं। कई युवतियां दिल्ली, मुंबई जैसे शहरों में यूं तो रोजी रोटी कमाने के लिए गईं थीं लेकिन इनमें से कई गर्भवती होकर घर वापस लौंटीं। सरकारी बेरुखी की हद देखिए कि पीड़िताएं ना कभी कोई शिकायत करतीं हैं और ना ही सरकारें कोई संज्ञान लेतीं हैं। यह सबकुछ चलता आ रहा है, वर्षों से, ऐसे ही, अब तो कई लड़कियां जवान हो गईं, जिन्हे अपने पिता का नाम तक नहीं मालूम। 

सिमडेगा ज़िले के गरीब क्षेत्र से ताल्लुक रखने वालीं ये युवतियां बड़े शहरों में जाकर किसी घर में घरेलू काम करती हैं। काम करने के दौरान ही कई युवतियां गर्भवती हो जाती हैं और अपने बच्चे के साथ घर लौट जाती हैं।

खबर के मुताबिक, वापस घर लौटने के बाद ये युवतियां अपने बच्चों को रिश्तेदारों या अपनी मां को सौंपकर वापस उसी शहरों में फिर से काम करने के लिए चली जाती हैं। काम करने गई युवती के घरवालों के अनुसार, उनकी बेटी बड़े शहर में पैसा कमाने के लिए गई थी लेकिन जब वह वापस लौटी तो उसकी गोद में एक छोटा सा बच्चा था। एक सदस्य ने बताया कि, 'वह (बेटी) अपने बच्चे को अपनी मां के पास छोड़कर वापस काम करने के लिए चली गई। इसके बाद से बेटी अपने बच्चे के पालन पोषण के लिए हर महीने पैसे भेजती है।

शुरूआत से ही अपनी मां के बिना रह रहीं कई लड़कियां अब बड़ी हो गई हैं। वे नियमित रूप से स्कूल जाती हैं और घर पर काम करती हैं। इन्हीं में आठवीं कक्षा में पढ़ने वाली लड़की एकता से जब बातचीत की गई तो उसने अपने जीवन से जुड़ी हरेक बात बताई।

एकता का कहना है कि, 'पैदा होने के बाद से ही मैं अपनी मां के बजाए अपने नाना-नानी के साथ रह रही हूं।' उसने बताया कि, उसको अपनी मां की बहुत याद आती है और जब भी मां वापस गांव आती हैं तो दोनों काफी समय एकसाथ व्यतीत करते हैं। गौरतलब है कि, झारखंड के आदिवासी समाज से ताल्लुक रखने वाले लोगों को सरकारी उदासीनता की एक बड़ी क़ीमत चुकानी पड़ रही है। यहां के लोगों को जीवन यापन करने में भी बहुत दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।

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