सुप्रीम कोर्ट के नाम पर कर्मचारियों के क्रमोन्नति और समयमान भी लटके

भोपाल। आरक्षण में पदोन्नति पर हाईकोर्ट की रोक के बाद भी समयमान वेतनमान और क्रमोन्नति के मामले भी अटक गये हैं हालांकि, इन पर किसी तरह की रोक नहीं है, लेकिन अधिकारी इनके आदेश निकालने से बच रहे हैं। ऐसी दशा में लगभग सभी विभागों की हैं। 

सूत्रों के अनुसार स्कूल शिक्षा विभाग में शिक्षकों के क्रमोन्नति आदेश जारी होना है, लेकिन मप्र हाईकोर्ट की पदोन्नति में आरक्षण पर रोक के बाद अधिकारी ने आदेश जारी करने से पल्ला झाड़ लिया है। कर्मचारियों का कहना है कि अधिकारी सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने तक इंतजार करने की कह रहे है, वहीं दूसरे विभागों में समयमान वेतनमान की 500 से ज्यादा फाइलें अटकी है। 

इन विभागों में भी अधिकारी का वहीं हाल है वे स्पष्ट मना भी नहीं कर रहे और फाइलों का निपटा भी नहीं रहे। ज्ञात हो पदोन्नति के अभाव में 12 और 24 साल में क्रमोन्नति देने की व्यवस्था वर्तमान में सिर्फ स्कूल शिक्षा विभाग में लागू है। जबकि दूसरे विभागों में 10 और 20 साल में समयमान वेतनमान देने के प्रावधान है। 

अवमानना याचिका लगायेंगे कर्मचारी
हाईकोर्ट का फैसला आने के बाद मप्र लोक सेवा (पदोन्नति) अधिनियम 2002 को आधार बनाकर कर्मचारियों पदोन्नति देने वाले विभागों के खिलाफ कर्मचारी नेता हाईकोर्ट में अवमानना याचिका लगायेंगे। मप्र सामान्य जाति एवं पिछड़ा वर्ग अधिकारी कर्मचारी संयुक्त मोर्चा के संयोजक अशोक शर्मा ने बताया कि स्कूल शिक्षा विभाग, मप्र माध्यमिक शिक्षा मंडल, प्शुपालन विभाग और स्वास्थ्य विभाग ने हाईकोर्ट का फैसला आने के बाद कर्मचारियों को उसी नियम के तहत पदोन्नत किया हैं जिसे हाईकोर्ट ने खारिज कर चुका हैं यह हाईकोर्ट की अवमानना है।

कर्मचारी हो रहे परेशान
हाईकोर्ट का फैसला आने से जहां अनारक्षित वर्ग के कर्मचारियों को राहत मिली है, वहीं उन्हें तात्कालिक  नुकसान भी झेलना पड़ रहा है । करीब 3 हजार कर्मचारी पदोन्नति की कतार में थे, तभी यह फैसला आ गया । इन सभी की पदोन्नति रूक गयी है । वही क्रमोन्नति का समयमान वेतनमान का मामला कोर्ट भी नहीं गया और किसी तरह की रोक भी नहीं लगी । फिर भी हाल ही में पात्र कर्मचारियों को यह लाभ नहीं मिल रहा है।
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