लीजिए, अपने शिवराज भी हो गए चायवाले

उज्जैन। भारत में अब तक एक ही चायवाला था। अब 2-2 हो गए। पहला चाय पिलाने के बाद मुख्यमंत्री बना था दूसरा मुख्यमंत्री बनने के बाद चाय पिला रहा है। मुई राजनीति है, क्या क्या नहीं करवा लेती। 

सिंहस्थ मेले में गुरुवार शाम 5 बजे मची तबाही के बाद सीएम शिवराजसिंह चौहान हालात का जायजा लेने शुक्रवार सुबह 5 बजे के बाद उज्जैन पहुंचे। वे सीधे घायलों से मिलने जिला अस्पताल पहुंचे और हरसंभव मदद का आश्वासन दिया। यहां से लौटते समय लोगों को बेहाल भटकते देखा तो गाड़ी से उतर गए। लोग चाय के लिए लाइन में लगे थे, सीएम खुद चाय बांटने लगे। हालांकि इससे काम जल्दी नहीं हुआ, उल्टा सीएम के साथ चल रही भीड़ ने बेहाल लोगों तक चाय पहुंचाने में देरी ही कर दी परंतु खबर तो बन गई। चायवाला शिवराज। 

वही डायलॉग: किसान हटाकर श्रृद्दालु जोड़ दिया
आपदा प्रभावितों के बीच पहुंचकर शिवराज सिंह के वही पुराने डायलॉग शुरू हो गए जो ओलावृष्टि के समय किसानों के बीच जाकर दिया करते हैं। इस बार किसान शब्द हटाकर श्रृद्धालु जोड़ दिया गया। 

  • संकट की खड़ी में ​सरकार आपके साथ है। 
  • किसी को कोई परेशानी नहीं आने दूंगा। 
  • ओले आपके पंडाल पर नहीं मेरे सीने पर गिरे हैं। 
  • मैं हरपल आपके साथ खड़ा हूं। इत्यादि इत्यादि 


इसके बाद सीएम शिवराजसिंह चौहान सर्किट हाउस पहुंचे और प्रभारी मंत्री भूपेंद्रसिंह, नगरीय प्रशासन मंत्री लालसिंह आर्य, मुख्य सचिव एंटनी डिसा, उज्जैन कलेक्टर, एसपी सहित आलाधिकारियों को व्यवस्था दुरुस्त करने के निर्देश दिए। जैसा कि वो हमेशा करते हैं। 

कड़वा सच
लेकिन एक कड़वा सच यह है कि उज्जैन आपदा से जूझने में उज्जैन निवासियों का सबसे बड़ा योगदान रहा। उन्होंने सारी रात मदद की। जो संभव था वो उपलब्ध करा दिया। उज्जैन के पंडे पुजारी सारी रात साधुओं और श्रृद्धालुओं की सेवा में लगे रहे। कुछ धार्मिक प्रवृत्ति के अधिकारी एवं पुलिसकर्मियों ने भी अपने ड्यूटी दायरों को बाहर निकलकर मदद की। 
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