
जेटली ने कहा, भगवान के लिये, मैं आपसे प्रार्थना करता हूं कि भारतीय लोकतंत्र के हित में आप इस तरह की बात मत कीजिये। भारत की न्यायपालिका जिस तरह से विधायिका और कार्यकारी अधिकारों के क्षेत्र में अतिक्रमण कर रही है उसे देखते हुये संभवत: राजकोषीय और बजट बनाना ही आखिरी शक्तियां रह गयी हैं जो आपके पास बचीं हैं। कर लगाना ही एकमात्र अधिकार रह गया है जो राज्यों के पास है।'
कुल मिलाकर भारत के वित्तमंत्री ने सदन में कहा है कि न्यायपालिकाएं सरकारी कामकाज में घुसपैठ कर रहीं हैं, अतिक्रमण कर रहीं हैं। उनका दखल बढ़ता जा रहा है। बहस के लिए मुद्दा यह है कि
- क्या न्यायपालिकाओं का सरकारी कामकाज में दखल बढ़ता जा रहा है
- क्या सरकारी कामकाज का स्तर इतना खराब हो गया है कि न्यायपालिकाओं को दखल देना पड़ रहा है।
- क्या आम आदमी को सरकार से न्याय की उम्मीद ही नहीं रही जो वह बार बार न्यायपालिका की चौखट पर चला जाता है।
- क्या लोग अपने अधिकारों के प्रति जागरुक हो गए हैं और वो सरकार के हाथों मूर्ख बनने को तैयार नहीं।
- या फिर कुछ और.....
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