कमोडिटी घोटाले में 7 पुलिस अधिकारी दोषी, 2 IPS बचाए

भोपाल। करीब दस करोड़ रुपए के घोटाले की जांच में शामिल साइबर सेल में पदस्थ रहे सात पुलिस अफसर और कर्मियों को दोषी पाया गया है। इन सातों को इस मामले की जांच कर रहे आईपीएस अफसर ने चार्जशीट सौंपी दी है। 

वर्ष 2013 में सायबर सेल पुलिस ने इंदौर में छापा मारकर मल्टी कमोडिटी घोटाले को उजागर किया था। दुनिया भर में फैले इस गिरोह ने करोड़ों रुपए का घोटाला किया था। इतने बड़े घोटाले को उजागर करने के वक्त साइबर सेल पुलिस की कमान तत्कालीन एडीजी अशोक दोहरे और तत्कालीन आईजी अनिल कुमार गुप्ता के पास थी। दोनों अफसरों का इस मामले को लेकर विवाद उस वक्त खासा चर्चित भी हुआ था। 

इस विवाद के चलते सायबर सेल ने नियम प्रक्रिया को दरकिनार कर इंदौर और कुछ अन्य स्थानों पर छापे डालना शुरू कर दिए। इस मामले में कई लोगों को गिरफ्तार भी किया गया था। इसके बाद जब दोनों आईपीएस अफसरों का विवाद बढ़ा तो मामले की जांच सीआईडी को सौंप दी गई। मामला कई देशों से जुड़ा होने के चलते प्रदेश सरकार ने इसे सीबीआई को सौंपने की सिफारिश की। अब इस मामले की जांच मुम्बई सीबीआई की टीम कर रही है।

2 आईपीएस को बचाने की कोशिश
मामले में दो आईपीएस अफसरों की भी भूमिका भी संदिग्ध पाई गई है। आरोप है कि इन्हें बचाने में पीएचक्यू की ताकत लगा रहा है। सूत्रों के मुताबिक पुलिसकर्मियों ने अपने बयानों में जांच अफसर को यह बताया था कि उन्होंने वरिष्ठ अफसरों के कहने पर छापे मारे थे। जांच भी वरिष्ठ अफसरों के मार्गदर्शन में की थी। वहीं जांच में यह भी माना गया है कि इन अफसरों द्वारा की जा रही जांच पर नजर रखने की जिम्मेदारी आईजी और एडीजी की थी।

पाकिस्तान और दुबई से जुड़े घपले के तार
आरोपियों ने मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज आॅफ  इंडिया (एमसीएक्स) की फर्जी वेबसाइट बना ली थी। इस वेबसाइट पर कई लोगों ने अपना पैसा लगा दिया था। यह हिसाब दस करोड़ रुपए से ज्यादा था। इस कारोबार के तार पाकिस्तान, दुबई तक से जुड़े हुए थे। सायबर पुलिस ने राजस्थान, दिल्ली, हरियाणा की पुलिस के साथ भी छापे मारे थे।

ऐसे उजागर हुआ फर्जीवाड़ा
सूत्रों की मानी जाए तो इस मामले की जांच जब सीआईडी ने की तब यह पता चला कि सायबर सेल में पदस्थ निरीक्षक सीताराम झा, केएल बघेल और सुनीता कटारा, सहायक पुलिस निरीक्षक चरण सुमेर, प्रधान आरक्षक इशरत परवीन खान और आरक्षक रीतेश सिंह, कैलाश चौरसिया ने नियम प्रक्रिया पूरी ना कर छापे डाले, इस मामले के मुख्य आरोपी अमित सोनी, अनुराग सोनी सहित कुछ अन्य आरोपियों को बचाने का भी काम किया था। इस मामले में साक्ष्य नष्ट करने तक का प्रयास पुलिस ने किया था।

सात लोगों को आरोप पत्र सौंपे हैं। इसमें से तीन निरीक्षक हैं। इन लोगों ने जांच और अन्य कार्यों में नियम प्रक्रिया का पालन नहीं किया था। आरोपियों को भी बचाने का प्रयास हुआ था।  मैंने अपनी जांच रिपोर्ट उच्च अधिकारियों को सौंप दी है।
केबी शर्मा, आईजी,
विशेष शाखा
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