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आईपीएस आरएस मीणा एवं उनकी विधायक पत्नि ममता |
भोपाल। आगर-मालवा जिले के पुलिस अधीक्षक आरएस मीणा का पीएससी का रिकार्ड मंत्रालय से गायब है। मीणा फर्जी जाति प्रमाणपत्र मामले में फंसे हैं। राज्य स्तरीय छानबीन समिति ने सरकार से कानूनी कार्रवाई की सिफारिश की है। गृह विभाग में पिछले एक माह से मीणा की नियुक्ति संबंधी पीएससी का रिकाॅर्ड खंगाला जा रहा है ताकि केंद्र सरकार को कार्रवाई करने का प्रस्ताव भेजा जा सके।
फर्जी प्रमाणपत्र मामले में केवल मीणा अकेले नहीं फंसे हैं, भिंड में अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक लखनलाल मीणा का प्रकरण भी चल रहा है। पीएचक्यू में पदस्थ असिस्टेंट कमांडेंट राजेश भांगरे का आदिवासी होने का प्रमाण पत्र फर्जी पाए जाने के बाद कार्रवाई जारी है। मंत्रालय सूत्रों के अनुसार रघुवीर सिंह मीणा 1987 में राज्य पुलिस सेवा से भर्ती हुए थे। उन्हें 2002 में आईपीएस अवॉर्ड हुआ था। उनके जाति प्रमाण पत्र को लेकर शिकायत हुई थी।
मीणा ने खुद को आदिवासी बताया
जिस पर राज्य स्तरीय छानबीन समिति ने जनवरी 2016 में मीणा के जाति प्रमाण पत्र को फर्जी पाया था। समिति ने पाया कि मीणा ने खुद को आदिवासी बताया था। उनका पता ग्राम मड़ावता पोस्ट जावती जिला विदिशा दर्ज था। जबकि मीना गुना के निवासी है और उनकी वहां संपत्ति भी है। इस मामले में पुलिस विभाग खुद भी शिकायतकर्ता था और समिति को पत्र भेजकर प्रकरण में अंतिम निर्णय देने को कहा था। इसके बाद ही समिति ने मीणा के जाति प्रमाणपत्र पर अवैध की मुहर लगाई थी और आगे की कार्रवाई के लिए फैसले की जानकारी गृह विभाग को भेजी है। बता दें कि आरएस मीणा की पत्नी ममता मीणा गुना जिले की चाचौड़ा सीट से बीजेपी विधायक हैं।
सिरोंज में सबसे ज्यादा फर्जीवाड़ा
आईपीएस अफसर आरएस मीणा के अलावा भी कई अफसर हैं, जिन्होंने सिरोंज का निवासी बता कर आदिवासी होने का प्रमाण पत्र हासिल किया है। दरअसल, मीणा जाति को मप्र में सिर्फ सिरोंज में ही आदिवासी का दर्जा है। सिरोंज बहुत पहले राजस्थान का हिस्सा था और कोटा जिले में शामिल था। इसीलिए यहां के मीणा समाज को आदिवासी दर्जा मिला था। शेष मप्र में इन्हें ओबीसी दर्जा है।