नईदिल्ली। उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन लगाने के केंद्र सरकार के फैसले पर नैनीताल हाईकोर्ट ने सख्त टिप्पणी की है। हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार को फटकार लगाते हुए कहा कि राष्ट्रपति कोई राजा नहीं हैं, जिसके फैसले को रिव्यू ना किया जा सके। हाईकोर्ट ने कहा कि हमारे संविधान की यही खूबी है कि राष्ट्रपति के निर्णय को भी चुनौती दी जा सकती है। पूर्ण शक्ति किसी को भी भ्रष्ट कर सकती है। राष्ट्रपति भी कभी-कभी गलत हो सकते हैं। सभी न्यायालयों के आदेशों का न्यायिक रिव्यू का अधिकार भारत के न्यायालयों में व्याप्त है।
कोर्ट में सार्वजनिक अवकाश के बावजूद इस मामले की सुनवाई चल रही है। एडिशनल सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) तुषार मेहता केंद्र सरकार का पक्ष रख रहे हैं। वहीं, हरीश रावत की पैरवी कांग्रेस नेता और दिग्गज वकील अभिषेक मनु सिंघवी कर रहे हैं। राष्ट्रपति शासन से जुड़ी याचिका पर सिंघवी की बुधवार की दलीलें पूरी हो चुकी हैं। अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन जल्दबाजी में लिया गया फैसला है। समय के अभाव के चलते अब गुरुवार को सुनवाई जारी रहेगी।