भोपाल। मध्यप्रदेश अधिकारी कर्मचारी संयुक्त मोर्चा के महामंत्री अरूण द्विवेदी एवं मध्यप्रदेश तृतीय वर्ग शासकीय कर्मचारी संघ के प्रांतीय प्रमुख महामंत्री लक्ष्मीनारायण शर्मा ने आज उच्च न्यायालय जबलपुर मध्यप्रदेश द्वारा पदोन्नती में आरक्षण समाप्त करने के संबंध में दिये गये महत्वपूर्ण फैसले को स्वागत योग्य बताया।
अरूण द्विवेदी एवं लक्ष्मीनारायण शर्मा ने शासन से मांग की कि जिस प्रकार उत्तरप्रदेश सरकार ने माननीय न्यायालय के निर्णय का पालन करते हुए आरक्षित वर्ग की पदोन्नति लेकर समानता के आधार पर पुनः पदोन्नति की उसी प्रकार की प्रक्रिया मध्यप्रदेश राज्य सरकार को भी अपनानी चाहिये। नेताद्वय ने कहा कि यदि सरकार माननीय सर्वोच्च न्यायालय में अपील करेंगी तो संघ द्वारा माननीय सर्वोच्च न्यायालय में केवियेट दायर की जायेंगी।
माननीय मध्यप्रदेश हाइर्कोट जबलपुर ने आज एक ऐतहासिक फैसला करते हुए पदोन्नति में दिये गये आरक्षण को असंवेैधानिक करार देते हुए मध्यप्रदेश सरकार द्वारा वर्ष 2002 में बनाये गये पदोन्नति नियमों को खारित करते हुए वर्ष 2002 से पदोन्नति में दिये गये आरक्षण को वापस ले लिया है जिससे 15 हजार कर्मचारी अधिकारियों को दी गई पदोन्नति वापस लेनी होगी । मुख्य न्यायाधीन अजय माणिकराव खानविलकर करी प्रिंसिपल बैंच ने केवल नियुक्ति में दिये जा रहे आरक्षण को बैध माना है।
चीफ जस्टिर खानविलकर ने अपने विस्तृत फैसले में साफ किया कि नियुक्तियों के दौरान समाज के वंचित वर्ग को नियमानुसार आरक्षण मिलना तार्किक है लेकिन पदोन्नतियों मे आरक्षण दिये जाने से वास्तिविक योग्यताओं में कुंठा घर कर जाती है। पदोन्नति प्रक्रिया में अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछडा वर्ग को विशेष वरियता और सामान्य वर्ग को पीछे रखना ठीक नही है । इसलिये पदोन्नति में रिजर्वेषन किसी भी कोण से न्यायोचित नही माना जा सकता।