पुलिस का दिमाग ख़राब होगा, तो अब पाई पाई का हिसाब होगा

वीर भूरिया। एक आरक्षक के पत्र लिखने से उसे लाइन अटेच कर दिया गया और अब सिविल सेवा आचरण का हवाला देकर उसकी परेशानी कम करने की बजाय बर्खास्त करने की तैयारी और जो ये मामा जी के संविदा भांजे हैं ये क्या दहेज़ में आये हैं जो इनको रोज़ रबड़ी परोस रहे हो।

4 दिन होते नही और हड़ताल। एक दुखी आरक्षक में मरने से पहले अपने मन की व्यथा क्या लिख दी। उसकी नोकरी खाने की तैयारी अधिकारी का बयान आया की अपनी माँग के लिए प्रोपर चैनल है। आप पत्र नही लिख सकते हैं। 

  1. बताओ गृह जिले पर बेन लगा है, किससे कहें खोलो। 
  2. विभागीय परीक्षा बंद हुई, किससे कहें शुरू करो।
  3. तनखा सबसे कम है, किससे कहें बढ़ाओ। 
  4. वीकली आॅफ नही मिलता है, किससे कहें शुरू करो।
  5. मामाजी ने बीमा कर दिया, प्रीमियम वसूल लिया, लाभ किसको मिला, सरकार को।
  6. आप हमे अकुशल श्रमिक मान कर वेतन देते हो।
  7. एक मात्र आरक्षक ही है जो उच्च कुशल का भी बाप है।
  8. कंप्यूटर ऑपरेटर वो।
  9. ड्रायवर वो।
  10. हथियार वो चलाता है।
  11. जान बचाने के लिये तैरता वो है।


अंग्रेज़ो के ज़माने में पुलिस विभाग बना था। मंगलपांडे जैसी बगावत ना हो इसलिए अंग्रेजों ने कुछ नियम बनाए थे। तब से आज तक कर्मचारियों के लिए नियम ही नही बदले गए। क्या इतना टाइम नही है इनके पास, गुलामी में ही जी रहे हैं हम।

और ये मामा के लाडले हड़ताली भांजे जब भर्ती किया था तब इनको बताकर किया था आप को परमानेंट की पात्रता नही होगी। बिना पूर्व सूचना के सेवा से पृथक भी किया जा सकता है विधि अनुसार न्यायालय नही जा सकते।
ये आंदोलन कर के पर्मानेंट हो जाय हमसे ज्यादा वेतन मिले।
हम पुलिस कर्मी बेवकूफ़ हैं जो घर छोड़कर परमानेंट के लालच में 24 घण्टे की नोकरी की और संविदा छोड़ दी।

आज माननीय मुख्य मंत्री महोदय, में आप को याद दिलादूं 2500 की संविदा वर्ग 3 छोड़ कर 7000 की पुलिस ज्वाइन की। कुल 6 साल में वो 2500 वाला 25000 का और 7000 वाला 17000 का भी नही हो पाया। भारी छलावा किया आप की सरकार की नीतियों ने हम खामोश जरूर हैं पर इसे अपनी कमजोरी ना समझें।

जिस दिन आप घर से निकलते हो रोड पर तो ये सिपाही 2 रात तक उस रोड की चौकीदारी करता है। अपना घर छोड़ कर नौकरी करता है सिपाही। आन्दोलन वालों के भरोसे सरकार नही चल रही है। आप सिविल विभाग को जो मांगो के तोहफे दे रहे हो, ये विपक्ष और जनता को शांत नही करते हैं हम पुलिस वाले करते हैं। आप के कलेक्टर साहब तो 4 लोगों से बिना पुलिस प्रोटेशन के तो ज्ञापन भी नही लेते हैं। 

  • इतिहास गवाह है, बिना सेना किसी राजा को तख्तो ताज नही मिलते।
  • मामाजी हमारे सब्र का इम्तिहाँ लेना छोड़ कर बिना माँगे मांग पूरी कर दो।
  • वरना पुलिस बिफर गई तो सरकार हिलेगी नही सदा के लिए डूब जायेगी।
  • ये खेरात नही है जो एक आंदोलन करे और उसे हमसे ऊँचे बिठा दो।
  • पुलिस का दिमाग ख़राब होगा। तो अब पाई पाई का हिसाब होगा। 
  • आज से ये हमारा आगाज। पुलिस एकता जिन्दाबाद।


आपका एक सिपाही

#buttons=(Ok, Go it!) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Now
Ok, Go it!