नईदिल्ली। मुस्लिम नाम वाले सिख विधायक को अपनी सीट वापस मिल गई है। सुप्रीम कोर्ट की न्यायमूर्ति रंजन गोगई और न्यायमूर्ति पीसी पंत की पीठ ने पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के फैसले को दरकिनार करते हुए पंजाब में भदौड़ के विधायक मोहम्मद सदीक को दोबारा बहाल करने का आदेश दिया है।
सुप्रीम कोर्ट ने मशहूर गायक और विधायक सदीक के मामले में साफ कहा कि धर्म परिवर्तन के बाद नाम बदलना जरूरी नहीं है। पीठ ने कहा है कि भले ही सदीक के माता-पिता और पत्नी मुस्लिम हैं, लेकिन वह सिख रहेंगे। सदीक ने सिख धर्म अपना लिया था लेकिन अपना नाम नहीं बदला था।
कांग्रेस नेता मोहम्मद सदीक वर्ष 2012 के विधानसभा चुनाव में अनुसूचित जाति वर्ग के लिए आरक्षित सीट भदौड़ सीट से जीते थे। उसी सीट पर शिरोमणि अकाली दल-भाजपा के उम्मीदवार दरबारा सिंह गुरु ने सदीक के चुनाव चुनौती दी थी। पूर्व आईएएस अधिकारी दरबारा सिंह गुरु का कहना था कि मुस्लिम होने के बावजूद सदीक ने अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित सीट से चुनाव लड़ा। पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने दरबारा सिंह की याचिका को स्वीकार कर लिया।
हाईकोर्ट ने कहा कि सदीक यह साबित करने में असफल रहे कि उन्होंने इस्लाम छोड़ सिख धर्म अपना लिया है। चूंकि वह मुस्लिम हैं, लिहाजा वह आरक्षित सीट से चुनाव लड़ने के हकदार नहीं हैं लेकिन शीर्ष अदालत ने हाईकोर्ट के फैसले को पलट दिया। पीठ ने कहा कि यह जरूरी नहीं है कि अगर कोई धर्म परिवर्तन करता है तो उसे नाम बदलना ही होगा। पीठ ने यह भी कहा है कि यह जरूरी नहीं कि किसी व्यक्ति का पूरा परिवार धर्म परिवर्तन करे।
शीर्ष अदालत ने सदीक की इस दलील को गौर किया कि भले ही उसके माता-पिता और पत्नी मुसलमान हैं लेकिन उन्होंने सदैव सिख धर्म की मान्यताओं का अनुसरण किया। न तो उन्होंने नमाज अता की और न ही उन्होंने रोजा रखा और न ही वह हज के लिए गए। इतना ही नहीं सदीक ने अपनी बेटियों की शादी हिंदू परिवारों में की, जिसे सिख समुदाय ने स्वीकार किया। उन्होंने यह भी बताया कि वह बतौर गायक मोहम्मद सदीक के नाम से मशहूर हैं। लिहाजा सिख धर्म अपनाने के बावजूद उन्होंने अपना नाम नहीं बदला।