ग्वालियर। हाईकोर्ट की युगल पीठ ने भ्रष्टाचार के आरोप में सजा पा चुके एक इंजीनियर को विदेश जाने की इजाजत नहीं दी। कोर्ट ने कहा कि ऐसी कोई इमरजेंसी नहीं दिख रही है कि बहू की डिलेवरी पर ससुर का उपस्थित होना जरूरी है। इसलिए कोर्ट इस मामले में कोई फैसला नहीं दे सकता है। पासपोर्ट ऑफिस चाहे तो अपने विवेक के अनुसार फैसला ले सकता है।
जीवाजी विश्वविद्यालय में भवन निर्माण में हुई अनियमितता के आरोप में इंजीनियर मुकुल कुमार मित्तल को जिला न्यायालय से सजा हो चुकी है। वो इन दिनों जमानत पर चल रहा है। उन्होंने अपनी अपील में एक आवेदन पेश किया कि उनका बेटा अमेरिका में रहता है। बहू की डिलेवरी होनी है। इसलिए विदेश जाने के लिए तीन महीने की अनुमति प्रदान की जाए। इस पर ईओडब्ल्यू के अधिवक्ता सुशील चतुर्वेदी ने कहा कि डिलेवरी पर उनकी उपस्थिति जरूरी नहीं है और कोर्ट ने आवेदन को खारिज कर दिया।
पासपोर्ट के लिए किया था आवेदन
श्री मित्तल ने पासपोर्ट ऑफिस में आवेदन किया था, लेकिन पासपोर्ट ऑफिस ने उनका आवेदन सेक्सन 22 के तहत लौटा दिया। निर्देश दिए गए कि कोर्ट एनओसी देता है, तभी पासपोर्ट मिलेगा। इसलिए उन्होंने हाईकोर्ट में आवेदन दिया था। भवन निर्माण में गलत भुगतान पर ईओडब्ल्यू ने उन पर केस दर्ज किया था, जिसमें उन्हें सजा हुई है।