विज्ञापनों के छपने से पहले होगी जांच

भोपाल। यदि सुप्रीम कोर्ट में चल रहे एक मामले में फैसला जैसा कि एक पक्ष चाहता है, के अनुसार आ गया तो देशभर में छपने वाले तमाम विज्ञापनों को एक सरकारी जांच प्रक्रिया से गुजरना होगा। सरकार का अप्रूवल मिलने के बाद ही विज्ञापन जारी किए गए जा सकेंगे फिर चाहे वो बाबा रामदेव के नूडल्स या पूजापाठ की सामग्री ही क्यों ना हों। 

मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में चीफ जस्टिस टीएस ठाकुर की अध्यक्षता वाली बेंच ने एएसजी से इस मुद्दे पर रिपोर्ट मांगी है कि क्या कंडोम के पैकेट पर छपी तस्वीरें अश्लील हैं और वह कानून का उल्लंघन करती हैं। 

बेंच ने एएसजी से कहा, 'आप बताइए कि क्या ऐसे विज्ञापनों के खिलाफ कार्रवाई की जा सकती है या नहीं। आप रिकॉर्ड में मौजूद विज्ञापनों को देखिए और अन्य उत्पादों पर भी नजर डालिए, उसके बाद रिपोर्ट दीजिए।

क्या बाजार में आने से पहले हो सकती है पड़ताल?
कोर्ट ने यह भी पूछा कि क्या उनके पास ऐसा कोई प्लान है जिससे ऐसे विज्ञापनों पर नजर रखी जा सकते और उन पर लगाम लगाई जा सके। कोर्ट ने कहा, 'क्या ऐसा कोई तरीका है जिससे इन उत्पादों पर छपने वाली तस्वीरें पहले ही देख ली जाएं, या उत्पाद के बाजार में आने पर ही हम इन्हें देख सकते हैं। 
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