
शिवसेना ने लेख में लिखा है कि उत्तराखंड मामले में कोर्ट का यह कहना है कि राष्ट्रपति से निर्णय में गलती हुई। इसका मतलब ये है कि मोदी सरकार से गलती हुई। सामना में लिखा है कि आखिरकार मोदी सरकार ने इस फैसले पर मुहर अपने राजनीतिक स्वार्थ के कारण ही लगाया था लेकिन अदालत ने ये कोशिश नाकाम कर दी।
गौरतलब है कि नैनीताल हाईकोर्ट ने उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन लगाने के केंद्र सरकार के फैसले को खारिज कर दिया था और हरीश रावत सरकार को विधानसभा में 29 अप्रैल को बहुमत साबित करने को कहा था। इसके साथ ही हाईकोर्ट ने कांग्रेस के 9 बागी विधायकों की सदस्यता भी खत्म करने के स्पीकर के फैसले को सही कहा था। केंद्र सरकार इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देगी।