
राज्य अधिवक्ता परिषद ने बताया कि बार काउंसिल ऑफ इंडिया के निर्देशों के मुताबिक प्रदेश के अधिवक्ताओं का नवीनीकरण किया जा रहा है, इस दौरान जांच में पाया गया है कि प्रदेश के आठ सांसद ऐसे हैं जिनका अधिवक्ता के रुप में भी रजिस्ट्रेशन हैं लेकिन वो लंबे समय से वकालत नहीं कर रहे हैं।
नियमों के मुताबिक राज्य का कोई भी पूर्णकालिक कर्मचारी होने के बाद मध्य प्रदेश राज्य अधिवक्ता परिषद का नामांकित अधिवक्ता या सदस्य नहीं रह सकता है। ऐसे में लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन समेत सभी आठ सांसदों द्वारा सरकार से निश्चित राशि, क्षेत्रिय भत्ता, यात्रा भत्ता और अन्य सुविधाएं ली जा रही है। ऐसे में सांसदों का अधिवक्ता के रुप में नामांकित रहे आना कदाचरण का दायरे में आता है।
स्टेट बार ने सुमित्रा महाजन, कांग्रेस सांसद कांतीलाल भूरिया, दलपत सिंह परस्ते, रीति पाठक, आलोक संजर, जनार्दन प्रसाद और गणेश सिंह को नोटिस जारी कर 5 मई तक जवाब पेश करने के निर्देश दिए हैं। इसके साथ ही स्टेट बार काउंसिल जल्द ही वकील विधायकों के नाम की सूची भी जारी करेगी।