60 लाख की सड़क खा गया रेंजर, विधानसभा को गलत जानकारी भेजी

रीवा। वन विभाग में तेदूपत्ता विकास मद से मप्र राज्य लघु वनोपज संघ द्वारा बड़ी डांडी से जरहैया एवं रपटा निर्माण हेतु 59.38 लाख का बजट उपलब्ध कराया गया था। जिसके निर्माण में लीपापोती कर सारी राशि की बंदर बाट कर ली गई और जब जिला लघु वनोपज सहकारी समिति के अध्यक्ष द्वारा शिकायत की गई तो उक्त शिकायत को विभाग के अधिकारियों ने दबा लिया। जब यह मामला विधानसभा में गूंजा तो कार्यपालन यंत्री ग्रामीण अभियांत्रिकी विभाग के पास जांच प्रक्रियाधीन होने की जानकारी दी गई। जबकि सच्चाई यह है कि उक्त मामले की जांच किसी भी अधिकारी को सौंपी ही नहीं गई है। विधानसभा को गुमराह करने के उद्देश्य से वन विभाग के लिपिक एवं अधिकारियों ने मिलकर झूठी जानकारी प्रेषित कर दी। 

उल्लेखनीय है कि कांग्रेस विधायक सुंदरलाल तिवारी द्वारा विधानसभा में वनमंत्री से अतारांकित प्रश्र क्रमांक 5598 के माध्यम से सवाल पूछा था कि वन विभाग द्वारा तेदूपत्ता मद से सड़क निर्माण परिक्षेत्र अतरैला में कराने हेतु जो स्वीकृत प्रदान की गई थी उक्त सड़क की लागत एवं वर्तमान में भौतिक स्थिति क्या है। लघु वनउपज समिति के अध्यक्ष द्वारा इसके निर्माण के संबंध में की गई शिकायत पर कब-कब और क्या कार्यवाही हुई। 

इस पर वनमंत्री गौरीशंकर सेजवार द्वारा जबाव दिया गया है कि अतरैला वनपरिक्षेत्र में सड़क निर्माण के संबंध में जानकारी दी गई है कि वर्ष 2015 में म.प्र.राज्य लघुवनोपज संघ द्वारा तेदूपत्ता विकास मद से वन परिक्षेत्र अतरैला के प्राथमिक वनोपज सहकारी समिति अतरैला में बड़ी डांडी से जरहैया तक सड़क एवं रपटा निर्माण हेतु स्वीकृत प्रदान की गई थी। इसकी लागत 58.38 लाख रूपये है। वर्तमान में यह सड़क निर्माणाधीन है। लघुवनोपज सहकारी समिति रीवा के अध्यक्ष रामप्रसाद आदिवासी द्वारा उक्त सड़क के निर्माण के संबंध में म.प्र.राज्य लघु बनोपज सहकारी संघ भोपाल सहित तमाम अधिकारियों को शिकायत की गई थी। जिसकी जांच हेतु जिला लघु बनोपज सहकारी समिति यूनियन मर्यादित रीवा के पत्र क्रमांक 1500 दिनांक 3.12.15 से कार्यपालन यंत्री ग्रामीण अभियांत्रिकी विभाग रीवा को लेख किया जा चुका है। 

जबकि हकीकत यह है कि कार्यपालन यंत्री को न तो कोई जांच सौपी गई है और न ही उक्त कार्यपालय यंत्री की उक्त जांच के संबंध में कोई जानकारी ही है। अब सवाल यह उठता है कि विधानसभा में दी गई जानकारी के मुताबिक कार्यपालन यंत्री द्वारा सड़क एवं रपटा निर्माण में की गई गड़बडी की जांच की जा रही है। किंतु उक्त जांच अधिकारी द्वारा अभी तक न तो मौका मुआयाना किया गया और न ही निर्माण से संबंधित अधिकारियों एवं निर्माण एजेन्सी से ही कोई संपर्क कर दस्तावेजों की मांग की गई। बल्कि संबंधित शाखा प्रभारी लिपिक नरेश शुक्ला द्वारा लीपापोती की जा रही है और उक्त लिपिक के द्वारा अपने अधिकारी की मिली भगत से लोगों को यह कहकर गुमराह किया जा रहा है कि जांच पूरी हो चुकी है और इसका प्रतिवेदन भोपाल भेजा जा चुका है। 

इस मामले में मजेदार पहलू यह है कि उक्त सड़क का निर्माण विभाग के ही रेंजर सीपी त्रिपाठी द्वारा कराया गया है और सारी गड़बडिया भी उनके इशारे पर की गई है। जिसकी सच्चाई यह है कि सड़क निर्माण के लिए मिला सारा बजट तो खर्च हो गया है किंतु सड़क नहीं बनी है। उक्त रेंजर श्री त्रिपाठी का चाकघाट से स्थानान्तरण कर कार्यआयोजना रीवा कार्यालय में कर दिया गया था लेकिन अभी तक इन्हे कार्यमुक्त नहीं किया गया है यह जांच का विषय है कि आखिर उक्त रेंजर को इतना संरक्षण क्यों दिया जा रहा है।  

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