
वेतन न मिलने से नाराज रोजगार सहायकों ने मार्च के महीने में 22 दिन तक हड़ताल की। इस दौरान राज्य सरकार के दबाव में आकर 11 जिलों के कलेक्टर ने रोजगार सहायकों की हड़ताल को अवैध बताते हुए कर्मचारियों को सेवा समाप्ति का नोटिस दे दिया। प्रदेश के खरगोन, खंडवा, होशांगाबाद, बड़वानी, नीमच, मंदसौर, शाजापुर, उमरिया, बुरहानपुर समेत 11 जिलों के 132 रोजगार सहायकों को निलंबित कर दिया गया या सेवा समाप्त कर दी गई। जबकि लगभग 3 हजार रोजगार सहायकों को पहले ही किसी न किसी कारण से निलंबित किया जा चुका है।
सरकार ने किया धोखा
पिछली हड़ताल के दौरान मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और पंचायत मंत्री गोपाल भार्गव हमसे मिलने आए थे। हमने कहा कि हमारा समय पर वेतन भुगतान कराया जाये। मनरेगा के अलावा दूसरी योजनाओं के काम न लिये जाए। हमारी हड़ताल को हाईकोर्ट ने जायज ठहराया है। इसलिए हड़ताल के दौरान निकाले गए 132 रोजगार सहायकों को वापस लिया जाए। जिस पर सीएम और पंचायत मंत्री ने कहा था कि दो दिन में सभी कर्मचारी वापस ले लिये जायेंगे। जो उन्होंने अब तक नहीं किया। इसी तरह वेतन भुगतान के लिए भी उन्होंने समय दिया था जो निकल चुका है। राज्य सरकार ने रोजगार सहायकों के साथ धोखा किया है। इसलिये सोमवार से हम फिर अनिश्चित कालीन हड़ताल पर जा रहे हैं।
रोशन सिंह परमार
प्रदेश अध्यक्ष रोजगार सहायक संघ