
बिजनेस शुरू किया तो घर वालों ने बंद करवाया
अदिति चौरसिया ने छतरपुर से अपनी स्कूल की पढ़ाई और ग्रेजुएशन किया। अदिति फैशन डिजाइनिंग करना चाहती थीं, लेकिन परिवार और रिश्तेदारों ने इजाजत नहीं दी। वे बताती हैं कि उन्हें मार्केटिंग में भी इंटरेस्ट था तो एमबीए करने इंदौर चली गईं। एमबीए करने के बाद तितलियां नाम से खुद का बिजनेस शुरू कर दिया। वे कस्टमाइज्ड हैंडमेड कार्ड बनाकर बेचती थीं। थोड़े ही समय में विदेशों से ऑर्डर मिलने लगे, लेकिन जैसे ही परिवार को इस बिजनेस के बारे में बताया तो इसे बंद करवा दिया और सिर्फ नौकरी करने पर ध्यान देने को कहा।
आधे दिन नौकरी, आधे दिन बिजनेस
परिवार के दबाव में अदिति ने इंदौर के एक कॉलेज में पढ़ाना शुरू कर दिया, लेकिन उनका मन बिजनेस करने में ही था। अदिति बताती हैं कि कुछ दिन जॉब के बाद साथ-साथ एक स्टार्टअप इंजीनियरबाबू के नाम से शुरू किया। आधा दिन नौकरी और आधा दिन बिजनेस में दिया। यह कंपनी मोबाइल एप्लीकेशन और वेबसाइट बनाती है। नौकरी में मन नहीं लगा तो छोड़ दी, लेकिन घर वालों को नहीं बताया। फिर एक और स्टार्टअप मोटरबाबू शुरू की, यह कंपनी कस्टमर की गाड़ी को ऑन डोर सर्विस देकर गाड़ी सर्विस और रिपेयर करवाती है। हमारा लास्ट ईयर का टर्न ओवर दो करोड़ का हो गया है। पहले लगता था कि नौकरी छोड़ने के बारे में बता दूं, लेकिन अब तय किया है कि घरवाले मेरे काम से इस बात को जानें, तो बेहतर होगा। आज उनके पास 45 से ज्यादा लोगों की टीम काम कर रही है।
दादाजी के नाम से अस्पताल बनवाने का सपना
अदिति बताती हैं कि मैं खूब पैसा कमाना चाहती हूं, ताकि अपने गांव में दादाजी के नाम से एक अस्पताल बनवा सकूं। उन्होंने बताया कि सरकार युवाआें को बिजनेस और कुछ नया करने के लिए प्रेरित तो कर रही है, लेकिन गांव तक यह बात नहीं पहुंच रही। खासतौर पर लड़कियों के मामले में समस्या ज्यादा खड़ी हो जाती है। मैंने बिजनेस शुरू करने के लिए बहुत कुछ सहा है और खोया भी है, यही चाहती हूं कि किसी और के साथ ऐसा न हो।