
लोक शिक्षण संचालनालय के तत्कालीन आयुक्त डीडी अग्रवाल ने अक्टूबर-15 में 108 हाईस्कूल की मान्यता निरस्त कर दी थी। उन्होंने तर्क दिया था कि संचालनालय को सशर्त मान्यता देने का अधिकार नहीं है, जबकि एक साल पहले इन स्कूलों को सशर्त मान्यता दी गई थी। ऐसे ही मापदंडों का पालन न करने पर 253 हायर सेकंडरी स्कूलों की मान्यता भी निरस्त की गई थी। ये कार्रवाई होने से पहले विद्यार्थी नियमित परीक्षार्थी के रूप में परीक्षा फार्म जमा कर चुके थे।
स्कूल संचालक और विद्यार्थी इस कार्रवाई के खिलाफ विभागीय मंत्री पारसचंद्र जैन और राज्यमंत्री दीपक जोशी से कई बार मिले थे। फिर भी मप्र माध्यमिक शिक्षा मंडल ने सभी छात्रों को प्राइवेट करने का निर्णय ले लिया और उन्हें प्राइवेट छात्र के रूप में ही परीक्षा दिलाई। इस बीच मामला मुख्यमंत्री तक पहुंच गया। मंत्री पारसचंद्र जैन ने विभागीय अधिकारियों की बैठक बुलाई और पूरे मामले को सुना। इसके बाद छात्रों को नियमित परीक्षार्थी मानकर मार्कशीट जारी करने का निर्णय लिया गया।