मप्र में 20 साल तक चलती रही बीज घोटाले की जांच

भोपाल। मप्र बीज विकास निगम में 20 साल चली जांच के बाद 20 लाख की धोखाधड़ी का खुलासा हुआ है। इस दौरान धोखाधड़ी की रकम ब्याज के साथ मिलाकर 56 लाख रुपए हो गई। विभाग आरोपी कर्मचारी को पहले ही बर्खास्त कर चुका है। अब अशोका गार्डन थाने में मामला दर्ज कराया गया है।

अशोका गार्डन पुलिस के मुताबिक बीज विकास निगम, गोविंदपुरा, औद्योगिक क्षेत्र के क्षेत्रीय प्रबंधक आरएल औसारी ने पुलिस को बताया कि 1995-96 में तत्कालीन प्रक्रिया प्रभारी कोलार निवासी वीरेंद्र सिंह (58) थे।

इसी दौरान करीब 20 लाख रुपए के बीज की हेराफेरी सामने आई थी। मामला सामने आने के करीब छह महीने बाद उन्हें सस्पेंड कर दिया गया। इसके बाद तीन स्तर पर 20 साल तक चली जांच में उनके खिलाफ आरोप साबित होने पर विभाग ने उन्हें बर्खास्त कर दिया।

जांच के दौरान विभाग को हुए नुकसान और उस रकम पर होने वाले ब्याज को जोड़कर गुरुवार रात अशोका गार्डन पुलिस में शिकायत दर्ज कराई। ब्याज जोड़ने के बाद विभाग को करीब 56 लाख रुपए का नुकसान हुआ है। पुलिस ने वीरेंद्र के खिलाफ धोखाधड़ी और अमानत में ख्यानत का मामला दर्ज किया है।

एक ही पोस्ट पर रहे काबिज
जानकारी के मुताबिक वीरेंद्र सिंह वर्षों तक एक ही पद पर जमे रहे। इस दौरान उन्होंने एक भी प्रमोशन नहीं लिया। सवाल यह खड़ा होता है कि जांच में दोषी पाए जाने के बाद भी विभाग ने 20 साल बाद पुलिस से शिकायत क्यों की? पुलिस इसमें विभाग के आला अधिकारियों की भूमिका की भी जांच कर रही है।

आरोपी की गिरफ्तारी नहीं हुई है
आरएल औसारी ने गुरुवार को धोखाधड़ी की शिकायत की है। पुलिस ने मामले की जांच शुरू कर दी है। फिलहाल आरोपी की गिरफ्तारी नहीं हो सकी है।
मयंक अवस्थी, प्रशिक्षु आईपीएस, एएसपी जोन-2

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