
अधिवक्ता जितेन्द्र मौर्य ने एक जनहित याचिका पेश की है। याचिका में बताया गया है कि स्वास्थ्य सेवाओं से जुड़ा कोई भी कर्मचारी हड़ताल पर नहीं जा सकता। संविधान के अनुच्छेद 21 में उल्लेख है कि शासन को हर आदमी को इलाज उपलब्ध कराना है, लेकिन शहर के सरकारी अस्पतालों के संविदा स्वास्थ्य कर्मचारी 29 फरवरी से हड़ताल पर हैं। इससे अस्पतालों की व्यवस्थाएं बिगड़ गई हैं। जेएएच में मरीजों का बोझ बढ़ गया है। जो कर्मचारी अस्पताल में काम कर रहे हैं, उनको परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
कर्मचारियों की हड़ताल अवैध है, लेकिन शासन ने अब तक हड़ताल को लेकर कोई कदम नहीं उठाया है। हाईकोर्ट भी एक याचिका सुनवाई करते हुए आदेश दे चुका है कि डॉक्टर हड़ताल पर नहीं जा सकते हैं। अगर जाते हैं तो पुलिस कार्रवाई करे। बावजूद इसके हड़ताल जारी है। इसलिए कर्मचारियों की हड़ताल को खत्म कराया जाए। साथ ही ऐसी व्यवस्था की जाए कि स्वास्थ्य सेवाओं से जुड़ा कोई कर्मचारी भविष्य में हड़ताल पर नहीं जा सके। कोर्ट ने कर्मचारी संघ सहित शासन को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।