
दिलचस्प बात यह है कि कांग्रेस ने पीएम के आरोपों पर उसी अंदाज में पलटवार किया है, जैसे वित्त मंत्री अरुण जेटली ने राहुल गांधी को निशाना बनाकर एक फेसबुक पोस्ट लिखा था. जेटली ने अपने पोस्ट में लिखा था, ‘वह कितना जानते हैं...वह कब जानेंगे'. कांग्रेस ने कहा, ‘वह कितना सुनते हैं’ और ‘वह कब सुनेंगे’.
विपक्षी दलों ने आरोप लगाया कि मोदी ने किसानों, दलितों, छात्रों और यहां तक कि अपने ही मंत्रियों की आवाजों की अनदेखी की है. ऑल इंडिया कांग्रेस कमिटी (एआईसीसी) ने कहा कि यह वास्तविकता में आने का समय है.
पीएम बनने के बावजूद गंभीरता नहीं
एआईसीसी ने कहा कि संसद में नौटकी उनके समर्थकों के लिए ही अच्छा मनोरंजन हो सकती है. दालें अभी तक उन दामों से दुगने पर बिक रही हैं जब उन्होंने सत्ता संभाली थी. नतीजे देना उनका काम है और सवाल पूछना हमारा. कांग्रेस पार्टी ने कहा कि जब आदमी मुख्यमंत्री से प्रधानमंत्री बनता है तो लोग निश्चित तौर पर यह उम्मीद करते हैं कि व्यक्ति में एक निश्चित स्तर की गंभीरता होगी, सुनने की कुछ मात्रा में मंशा होगी और अपनी आवाज के मोह से उपर उठ गए होंगे.
मई 2014 में हावी हुई घृणा की राजनीति
पार्टी की ओर से कहा गया कि दो माह की बचैनी, अशांति और असंख्य टकरावों के बाद लोग इस बात पर आश्चर्य करने लगे हैं कि ‘वह कितना सुनते हैं..वह कब सुनेंगे.’ कांग्रेस की वेबसाइट पर प्रकाशित समीक्षा रिपोर्ट में कहा गया है कि मई 2014 में एक चलन देखा गया कि ऐसा व्यक्ति जिसकी घृणा की राजनीति के कारण विश्व समुदाय में आलोचना हुई, उसे विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र का नेतृत्व करने के लिए निर्वाचित किया गया.