
हालांकि, भाजपा विधायक गणेश जोशी इस मामले में अपनी गलती से साफ इंकार कर रहे हैं और यहां तक कह रहे हैं कि अगर उनकी एक फीसदी भी गलती हुई तो वह अपना एक पैर तक कटवाने को तैयार हैं। उत्तराखंड से लेकर दिल्ली तक पार्टी को जवाब देते नहीं बन रहा है कि आखिर क्यों भाजपा की रैली का खामियाजा एक बेजुबान को भुगतना पड़ा। सदन के भीतर भी इस मुद्दे पर जमकर संग्राम छिड़ा।
सत्तापक्ष और विपक्ष के बीज जमकर आरोप-प्रत्यारोप के तीर चले। आरोप लगे रहे हैं कि अगर भाजपा का प्रदर्शन इतना बेकाबू न होता तो हालात ऐसे न होते। वहीं, विपक्ष भी विधायक पर मुकदमे को सरकारी की साजिश करार दे रहे हैं। भाजपा के घेराव का दुखद पहलू एक बेजुबान का घायल होना है और जिसका दुख सभी को है, लेकिन सवाल उठना लाजमी है कि आखिर क्यों एक जनप्रतिनिधि को लाठी उठानी पड़ी और क्या इससे कार्यकर्ता और अधिक आक्रोशित नहीं हुए।