
शुक्रवार को प्रश्नोत्तर काल में पहले ही सवाल पर हंगामे की स्थिति बन गई। इस मुद्दे पर वर्मा का सत्ता एवं विपक्ष के सदस्यों ने खुलकर समर्थन किया। हंगामे के बाद जब सदन की कार्यवाही पांच मिनट के लिए स्थगित हुई तब स्पीकर ने भी वर्मा को बुलाकर समझाइश दी। चर्चा के दौरान गृहमंत्री अधिकारी को हटाने की मांग नकार चुके थे, इसलिए कार्यवाही स्थगित होते ही परिवहन मंत्री भूपेंद्र सिंह, उच्च शिक्षा मंत्री उमाशंकर गुप्ता एवं राज्यमंत्री लालसिंह आर्य तुरंत फ्लोर मैनेजमेंट के लिए सक्रिय हो गए। ये तीनों स्पीकर के कक्ष में पहुंचे और विचार-विमर्श के बाद तय हुआ कि कुछ दिन बाद डीएसपी को वहां से चलता कर दिया जाएगा।
डीजीपी से किया मशविरा
स्पीकर ने भी विधायक वर्मा एवं राजेंद्र वर्मा को बुलाकर आश्वस्त कर दिया। गृहमंत्री बाबूलाल गौर ने अधिकारी दीर्घा में मौजूद डीजीपी सुरेंद्र सिंह से मशविरा किया। उनके बाद मंत्री भूपेंद्र सिंह और उमाशंकर ने भी डीजीपी से चर्चा की। स्पीकर के कक्ष में जाकर उन्होंने वर्मा को बताया कि मुख्यमंत्री ने भी डीएसपी को हटाने की सहमति दे दी है, लेकिन सदन में इसकी घोषणा से अच्छा संदेश नहीं जाएगा। इसलिए फिलहाल मामले को तूल न दिया जाए। इसके बाद जब सदन की कार्यवाही शुरू हुई तो वर्मा ने मामले पर अपनी ओर से कोई चर्चा नहीं की। कांग्रेस के रामनिवास रावत एवं मुकेश नायक ने कहा भी कि मामले में 25 विधायक बोल रहे हैं, लेकिन इस संबंध में पुनः चर्चा शुरू नहीं हो पाई। बसपा के बलवीर दंडोतिया ने इसे सदन की बेइज्जती बताते हुए कार्रवाई की मांग उठाई।