शिक्षा और स्वास्थ्य का निजीकरण गंदी बात: आरएसएस

भोपाल। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के मध्यप्रांत सह कार्यवाह यशवंत इंद्रापुरकर का कहना है कि शिक्षा और स्वास्थ्य जैसी सेवाओं का निजीकरण उचित नहीं कहा जा सकता। यह संस्थाएं लूटखसौट के लिए निजी हाथों में नहीं दी जा सकतीं। सरकार को अपनी व्यवस्था सुधारना चाहिए। याद दिला दें कि मप्र में सरकार शिक्षा और स्वास्थ्य का निजीकरण करने जा रही है। अलीराजपुर का सरकारी अस्पताल निजी हाथों में सौंपा जा चुका है।  

उन्होंने माना कि शिक्षा के क्षेत्र में मिशनरी स्कूलों का काम अच्छा है। इसकी वजह अंग्रेजी माध्यम में दी जाने वाली शिक्षा है। उन्होंने कहा कि प्राइमरी स्तर पर अंग्रेजी अनिवार्य की जाना चाहिए।

मंगलवार को राजधानी में विश्व संवाद केंद्र में इंद्रापुरकर ने कहा कि वैसे तो सरस्वती शिशु मंदिरों ने अपनी गुणवत्ता सुधारी है, लेकिन अभी और गुंजाइश है। उन्होंने गत दिनों नागौर में हुई संघ की प्रतिनिधि सभा की बैठक में लिए गए निर्णयों की भी जानकारी दी। उन्होंने बताया कि धारा 370 के मुद्दे पर संघ पीछे नहीं हटा है। हर बैठक में एक ही बात क्यों करें? यह सोचकर इस बार की बैठक में मुद्दा नहीं आया। 

स्वास्थ्य और शिक्षा के निजीकरण मुद्दे पर उन्होंने कहा कि दोनों क्षेत्र में निजीकरण लाभ कमाने के लिए है। केंद्र, प्रदेश और स्थानीय सरकारें अपनी व्यवस्थाएं दुस्र्स्त करें। इन संस्थाओं को लूटखसोट के लिए खुला नहीं छोड़ा जा सकता। आईएस की आरएसएस से तुलना करने के मुद्दे पर इंद्रापुरकर ने कहा कि कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद और सुशील कुमार शिंदे आईएस को समाज सेवी संगठन मानते हैं, तो ठीक है।

संपन्न लोग आरक्षण छोड़ें 
देश में आरक्षण व्यवस्था पर इंद्रापुरकर ने कहा कि यह अस्थाई व्यवस्था थी। जैसे देश में संपन्न् लोग गैस सब्सिडी छोड़ रहे हैं, वैसे ही वर्ग विशेष के संपन्न् लोगों को आरक्षण का लाभ लेना छोड़ देना चाहिए। इसके लिए कोई उन्हें बाध्य नहीं कर सकता है। यह उनका स्वयं का निर्णय होना चाहिए। धर्मांतरण, शिक्षा की गुणवत्ता और निजी स्कूलों की फीस निर्धारण पर उन्होंने कहा कि सरकार को इस दिशा में काम करना चाहिए।

मप्र में भी भेदभाव पाया गया 
उन्होंने कहा कि प्रदेश में आज भी जातिगत भेदभाव है। आरएसएस के 1334 कार्यकर्ता मध्यप्रांत क्षेत्र में 9603 गांवों में गए। जहां 1140 जगह जलस्रोत, 2150 जगह मंदिर, 1779 जगह शमशान घाट को लेकर भेदभाव देखने को मिला। इनमें से 100 स्थानों पर फरवरी में समरसता यज्ञ आयोजित किए गए।

उन्होंने कहा कि संघ की विचारधारा और काम के आधार पर प्रदेश में 362 और मध्य प्रांत में 113 शाखाएं बढ़ गईं। ज्ञात हो कि राजस्थान के नागौर में हुई संघ की प्रतिनिधि सभा की बैठक में स्वास्थ्य, शिक्षा, समरसता आदि चुनौतियों पर विचार मंथन कर प्रस्ताव पारित किए गए।
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