भोपाल। राजस्व मंत्री रामपाल सिंह अपने विभाग को लेकर संतुष्ट नहीं हैं। उनकी पीड़ा है कि तहसीलदार से वरिष्ठ अफसरों की कमान नहीं होने से ‘राजस्व मंत्री’ की अहमियत न के बराबर है। खासतौर पर कलेक्टरों को लेकर चिंता है कि वे अपने मूल विभाग राजस्व को भूलते जा रहे हैं। मंत्री ने पिछले दिनों अपनी बात मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के सामने भी रखी है। उनकी मंशा है कि कलेक्टरों की सीआर लिखने का अधिकार मिले। राजस्व मंत्री की बात कलेक्टर इसलिए नहीं सुनते हैं कि डिप्टी कलेक्टर से लेकर कलेक्टर तक के पॉवर सामान्य प्रशासन विभाग के पास हैं। प्रदेश में अतिवृष्टि, ओलावृष्टि और सूखे की स्थिति बनने के दौरान राहत राशि वितरण को लेकर और जिलों में राजस्व वसूली सहित राजस्व संबंधी अन्य जरूरी कार्यों के क्रियान्वयन को लेकर कलेक्टरों की अनदेखी सामने आई है।
राजस्व के कामों मे कलेक्टर नहीं ले रहे रुचि
राजस्व मंत्री ने पाया है कि जिले में पदस्थ कलेक्टर राजस्व को छोड़कर अन्य विभागों पर ज्यादा ध्यान देते हैं। यही कारण है कि विभाग से संबंधित बहुत से कार्य समय पर पूरे नहीं हो रहे हैं। वे मानते हैं कि पटवारी से लेकर तहसीलदार तक के अधिकार होना पर्याप्त नहीं है। कई बार ऐसे मौके आए हैं जब उन्होंने डिप्टी कलेक्टर या फिर कलेक्टर को कोई निर्देश दिए हैं जिनका पालन नहीं किया गया है। मंत्री की चिंता है कि डिप्टी कलेक्टर से लेकर कलेक्टर तक वेतन राजस्व विभाग दे और अधिकार सामान्य प्रशासन विभाग के पास हो। इससे तो अच्छा है कि राजस्व विभाग को भी जीएडी के साथ कर देना चाहिए।