
विधायक ने इस मामले में जमीनीस्तर पर आंदोलन के बाद आज विधानसभा में इस मुद्दे को उठाने के लिए अनोखा तरीका अपनाया। कमर के नीचे सफेद धोती पहने और लाठी लेकर वे विधानसभा पहुंचे। सदन के अंदर जाते समय उन्होंने लाठी को बाहर ही रख दिया। उनके सदन के भीतर इस हालत में प्रवेश करते ही पहले सदस्य हंसे लेकिन क्षणभर में सत्ता पक्ष के विधायकों ने इस पर आपत्ति जताना शुरू कर दिया।
संसदीय कार्य मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने कहा कि यह केवल मीडिया में आने के लिए किया जा रहा है। विपक्ष कभी कमंडल लेकर तो कभी डंडा लेकर सदन में आ जाते हैं। वहीं पंचायत मंत्री भार्गव ने कहा कि सदन में शालीनता बरती जाना चाहिए। हमारे सदन में महिला सदस्य हैं और दीर्घाओं में भी महिलाएं होती हैं इसलिए विधायक को इस हालत में सदन में नहीं आना चाहिए। वहीं लाल सिंह आर्य ने कहा कि आप सभी इसी तरह आएं।
इसके विपरीत कांग्रेस विधायकों रामनिवास रावत, डॉ. गोविंद सिंह, सुंदरलाल तिवारी, तरुण भनोत, हरदीप डंग, सचिन यादव, निशंक जैन, बसपा की उषा चौधरी व शीला त्यागी ने दोगने की अपनी बात रखने के तरीके को सही बताया। उन्होंने गांधीजी तथा पिछली विधानसभा के एक सदस्य रामलखन शर्मा का उदाहरण भी दिया।
सत्ता पक्ष और विपक्ष के सदस्यों के हंगामे के चलते स्पीकर डॉ. सीताशरण शर्मा ने व्यवस्था देते हुए कहा कि दोगने समस्या से पीड़ित होकर आए हैं लेकिन मंत्री की आपत्ति से वे सहमत हैं। सदन में अपनी बात जुबान से रखना चाहिए न कि शरीर से। उन्होंने कहा कि इस तरह विधायक के सदन में आने से वे भी सहमत नहीं हैं। इसके बाद हंगामा शांत हुआ।