
बॉडी टूटी-फूटी, न हेडलाइट न इंडिकेटरः
ग्वालियर से भिंड, मुरैना, डबरा, दतिया, शिवपुरी, श्योपुर, गुना और अन्य जिलों के लिए चलने वाली बसों की हकीकत जानने के लिए पड़ताल की। इसमें सामने आया कि काफी संख्या में ऐसी बसें है, जिनकी बॉडी जर्जर थी। कई बसों में न तो हेडलाइट थी और न इंडिकेटर। बसों की अंदर से यह स्थिति थी कि यात्रियों को बैठने के लिए तो टूटी, फटी सीट थी। ड्राइवर के लिए भी ऐसी सीट थी, जिस पर बैठकर बस चलाना काफी मुश्किल है। कुछ बसों में तो इमरजेंसी गेट भी नहीं था तो कुछ बसों के कांच फूटे हुए थे। अंदर से जगह-जगह से बॉडी टूटी हुई थी, जिससे यात्रियों को चोट लगने की संभावना है। बसों की इतनी जर्जर स्थिति के बाद भी इन बसों का संचालन हो रहा है। परिवहन विभाग के कार्रवाई न करने की वजह से बस संचालक बेखौफ हैं।
फोटो खिंचवाओ और मिल गया फिटनेस सर्टिफिकेटः
सड़कों पर दौड़ रहीं अनफिट बसों के लिए पूरी तरह से परिवहन विभाग जिम्मेदार है। जर्जर बसों को भी फिटनेस सर्टिफिकेट जारी हो जाता है। इसका सबसे बड़ा कारण परिवहन विभाग की लापरवाही है। क्योंकि वाहन की फिटनेस जांच में परिवहन अमले द्वारा काफी अनदेखी की जाती है। जो भी वाहन फिटनेस के लिए जाते हैं, सिर्फ फोटो खिंचवाने के बाद फिटनेस सर्टिफिकेट जारी कर दिया जाता है।
फिटनेस शाखा की हकीकत जानने के लिए पड़ताल में सामने आया कि कंपू स्थित क्षेत्रीय परिवहन कार्यालय में एक डंडे पर सिर्फ एक कैमरा लगाया गया है। जो भी वाहन फिटनेस जांच के लिए आता है तो इसे कैमरे के सामने खड़ा किया जाता है। वाहन का बाहर से फोटो खींचा जाता है। इसके बाद न तो परिवहन अमले द्वारा वाहन की अंदर से जांच की जाती है और न ही बाहर से। सिर्फ फोटो खिंचवाने के बाद फिटनेस सर्टिफिकेट जारी हो जाता है।
- ऐसे होनी चाहिए फिटनेस जांचः
- वाहन की फिटनेस जांच के दौरान वाहन की पूरी बॉडी की बाहर और अंदर से जांच
- साइड मिरर, हेड लाइट, इंडिकेटर, ड्राइवर सीट की जांच
- रोड टैक्स, परमिट की जांच
- ब्रेक, गियर, स्टेयरिंग की जांच
- बस में इमरजेंसी गेट