14 मंदिरों के 73 लाख गटक गई शिवराज सरकार

इंदौर। यदि किसी की जमीन सड़क, डूब या सरकारी प्रोजेक्ट के लिए ली जाती है तो जमीन मालिक को उसका मुआवजा मिलता है। वह उसे खर्च करता है, लेकिन जब मंदिर की जमीन के बदले मुआवजा मिलता है तो वह राशि मंदिरों के विकास पर खर्च नहीं हो पा रही।

जिले के मंदिरों की जमीनों का हिसाब विधायक और महापौर मालिनी गौड़ ने विधानसभा में राजस्व मंत्री से मांगा। उनके सवाल का जवाब प्रशासन ने भोपाल भेजा, जिससे पता चला कि 14 मंदिरों के मुआवजे के रूप में 73 लाख रुपए प्रशासन के खाते में हैं। जिसे चार साल से मंदिरों के विकास पर खर्च नहीं किया गया।

श्रीमती गौड़ ने पूछा था कि जिले के कितने मंदिरों की राशि कलेक्टर के खाते में जमा है। क्या उक्त राशि भू-अर्जन अधिकारी या मंदिर समिति के पास रहना चाहिए। उन्होंने यह भी पूछा कि मंदिर के मुआवजे की राशि मंदिरों के विकास पर खर्च की गई या नहीं। जवाब में बताया गया कि वर्ष 2011 से 2015 तक प्राप्त अवार्ड का पैसा सरकारी खाते में जमा है। उसे खर्च नहीं किया गया। सबसे ज्यादा महू क्षेत्र में मंदिरों की जमीन सरकारी योजनाओं में ली गई है।

  • इन मंदिरों की जमीन का मिला मुआवजा
  • गणपति मंदिर- मानपुर-763871
  • श्रीराम मंदिर-टीही-264000
  • श्रीराम मंदिर-टीही-648648
  • खेड़ापति मंदिर-कुवाली-57994
  • श्रीराम मंदिर-गवली पलासिया-1558484
  • मारुति मंदिर-भैसलाय-2033318
  • श्रीराम मंदिर-भैसलाय-42953
  • श्रीराम मंदिर-बड़गौंदा-192700
  • खेड़ापति मंदिर-नावदा-29349
  • श्रीराम मंदिर -भरदला-76790
  • पीर स्थान-भरदला-56204
  • राधा मंदिर-भैसलाय-1364578
  • खेड़ापति मंदिर-बड़गौंदा-15493
  • राधा मंदिर-खुर्दा-235156
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