भोपाल। राज्य के 11 जिला सहकारी बैंक दिवालिया होने की कगार पर पहुंच गए हैं। इन बैंकों में लगभग दो लाख खातेदारों की जमा रकम फंस सकती है। बैंकोंं का एनपीए (नॉन परफॉर्मिंग असेट) आठ सौ करोड़ से ज्यादा हो गया है और नकद जमा राशि न्यूनतम लिमिट 7 प्रतिशत से नीचे आ गई है। इन बैंकोंं (ग्रामीण विकास बैंक भी शामिल) की माली हालत इसलिए खराब हुई क्योंकि 1 लाख 27 हजार किसानों से 1300 करोड़ से अधिक का कर्ज वसूल नहीं हो पा रहा है। बैंकों की खस्ताहाल देख कृषि उपज मंडियों की समितियों ने अपने जमा 1500 करोड़ रुपए में से 900 करोड़ रुपए निकाल लिए हैं। वहीं मार्कफेड (राज्य सहकारी विपणन संघ) ने भी समितियों को उधार में खाद देने से इंकार कर दिया है, क्योंकि बैंकों पर 318 करोड़ रुपए बकाया है।
मंत्रालय सूत्रों ने बताया कि सहकारी बैंकों की खस्ता हालत के लिए बड़ा कारण लोन वितरण में गड़बड़ी है। इसके अलावा पीडीएस में घोटाले के चलते समितियों ने बैंकों को पैसा नहीं दिया, जिसे बैंकों ने अपने रिजर्व फंड से चुकाया। पिछले तीन साल में कृषि लोन की वसूली भी काफी कम रही। प्राकृतिक आपदा की वजह से सरकार ने वसूली स्थगित करवाई पर रकम समय पर नहीं दी। इससे बैंकों पर ब्याज का बोझ बढ़ता जा रहा है। जीरो परसेंट ब्याज पर कर्ज देने से बैंकों का ध्यान इस पर ही लगा रहा। बैंक इस स्थिति में भी नहीं है कि नाबार्ड के 990 करोड़ लौटा सके, इसलिए सरकार अपनी गारंटी पर कर्ज अदायगी कर रही है।
अपैक्स बैंक सहित अन्य संस्थाओं की देनदारी इन बैंकों पर है। यदि हालत नहीं सुधारे गए तो आरबीआई इनके लेनदेन पर रोक लगा देगा।
यहां हालत खराब: दतिया, मुरैना, सतना, टीकमगढ़, मंडला, सीधी, ग्वालियर, रायसेन, होशंगाबाद, टीकमगढ़ व छतरपुर।
ग्रामीण सहकारी बैंकों में 5500 खातेदारों की 55 करोड़ रुपए की एफडी मैच्योर्ड हो चुकी है, लेकिन खातेदारों को राशि नहीं दी जा रही है। विधानसभा में बाला बच्चन ने कहा कि जबलपुर में एक खातेदार सुखदेव तिवारी कैंसर से पीड़ित हैं, लेकिन एफडी की राशि उन्हें नहीं दी जा रही है। भोपाल के एक खातेदार शांता पीके को बैंक राशि जारी नहीं कर रहा है।
यह सही है कि कई सहकारी बैंकोंं की वित्तीय स्थिति खराब है। सरकार इन बैंकों को अपने पांव पर खड़ा करने की कोशिश कर रही है। इसलिए कई बैंकों का नियंत्रण आईएएस अफसरों के हाथों में दिया गया है।'
गोपाल भार्गव, सहकारिता मंत्री