
देश की राजधानी में इस तरह की अराजकता की तस्वीरें दुनिया भर में भारत की छवि को चोट पहुंचाएंगी और भारत के अंतरराष्ट्रीय हितों के भी खिलाफ जाएंगी। उसके लोकतंत्र और कानून का राज होने के दावों पर भी प्रश्नचिह्न खड़ा करेंगी। विदेशी मीडिया में भी प्रतिकूल टिप्पणियां आ रही हैं। ये सारी प्रतिक्रियाएं बताती हैं कि हालात को संभालने का वक्त आ गया है।
भारत जैसे विशाल देश को कुछ गुमराह नौजवानों के बेहूदा नारों से कोई नुकसान होगा, यह वही सोच सकता है, जिसे देश की ताकत और उसकी अंदरूनी मजबूती पर भरोसा नहीं है। इस मसले ने देश को अजीब स्थिति में ला दिया है| जहां देशभक्ति के नाम पर गणतंत्र के उन संस्थानों की तौहीन हो रही है, जिनसे यह देश मजबूत बना हुआ है। हमारे देश के संस्थानों में लाख कमियां होंगी और उनमें सुधार की भी बहुत गुंजाइश है, लेकिन इन्हीं संस्थानों ने दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र को सहारा भी दिया हुआ है। सभी जिम्मेदार लोगों को संविधान के प्रति अपनी जिम्मेदारी निभाते हुए तेजी से निष्पक्ष कार्रवाई करनी चाहिए। यह एक गंभीर विषय है जिसकी परिणिति संवैधानिक संकट भी हो सकती है | इससे बचना होगा |
- श्री राकेश दुबे वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं।
- संपर्क 9425022703
- rakeshdubeyrsa@gmail.com