किसी व्यक्ति के सामाजिक कार्यकर्ता होने का आधार क्या: हाईकोर्ट

ग्वालियर। हाईकोर्ट की युगल पीठ ने सामाजिक कार्यकर्ता बनकर जनहित याचिका दायर करने वाले मुकेश रावत से उस गुण के संबंध में जवाब मांगा है, जिसके आधार पर उन्होंने अपने आपको को सामाजिक कार्यकर्ता घोषित किया है। इस गुण के बारे में बताने के लिए कोर्ट ने याचिकाकर्ता के अधिवक्ता को दो सप्ताह का वक्त दिया है। साथ ही निर्देशित किया है कि शासन से जनहित याचिका के विषय में दिशा-निर्देश लेकर जवाब दें।

जिला दतिया के ग्राम तिलैथा निवासी सामाजिक कार्यकर्ता मुकेश रावत ने दतिया जिले में गुड़ बनाने वाले क्रेशर संचालकों के खिलाफ जनहित याचिका दायर की है। याचिकाकर्ता के अधिवक्ता केके श्रीवास्तव ने कोर्ट को बताया कि डबरा-दतिया क्षेत्र में अवैध रूप से गुड़ का व्यवसाय किया जा रहा है। दूसरे राज्य के व्यापारी किसानों से मनमाने तरीके से गन्नाा खरीद रहे हैं और गुड़ बनाकर किसान बनकर उसे डबरा कृषि उपज मंडी में बेच रहे हैं। इन व्यापारियों ने कोई रजिस्ट्रेशन नहीं कराया है। इससे शासन को टैक्स का नुकसान हो रहा है। सैकड़ों क्रेशर क्षेत्र में चल रहे हैं। इन क्रेशरों की वजह से छोटे कोहलू चलाने वालों को नुकसान हो रहा है। इसलिए इन पर कार्रवाई की जाए। इस पर कोर्ट ने सबसे पहले याचिकाकर्ता से उस गुण के बारे में पूछा है, जिसके आधार पर उन्होंने खुद को सामाजिक कार्यकर्ता घोषित किया है।

पूर्व में भी लगाई थी एक जनहित याचिका
मुकेश रावत ने पू्‌र्व में फीडर सेपरेशन को लेकर एक जनहित याचिका दायर की थी। इस याचिका की सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने लोकायुक्त को जांच के आदेश दिए थे। उन्होंने याचिका में आरोप लगाया था कि फीडर सेपरेशन में बिजली विभाग ने आर्थिक अनियमितता की है और मानकों के अनुसार काम नहीं किया गया है। इसलिए फीडर सेपरेशन के कार्यों की जांच की जाए। इस याचिका में आदेश होने के बाद मुकेश रावत ने दूसरी याचिका दायर की है।
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