मुझे भारत में पैदा होने पर शर्म आती है: हाईकोर्ट जज ने कहा

नई दिल्ली। मद्रास हाईकोर्ट के जज सीएस करनन ने विवादित बयान दिया है। मद्रास हाईकोर्ट से कलकत्ता हाईकोर्ट ट्रांसफर किए जाने से नाखुश करनन ने इस फैसले पर सवाल उठाते हुए कहा, 'मुझे भारत में पैदा होने पर शर्म आती है।' करनन ने आरोप लगाया कि वे पिछड़ी जाति से हैं इसलिए उनके साथ भेदभाव किया गया है। बता दें कि जस्टिस जगदीश सिंह केहर और आर भानुमति की डिविजन बेंच ने सोमवार को यह आदेश दिया कि जस्टिस करनन को कोई भी केस न दिया जाए। इस पर विवादित जज ने सुप्रीम कोर्ट के दोनों जजों के खिलाफ एससी/एसटी (प्रिवेंशन ऑफ एट्रोसिटी) एक्ट के तहत FIR दर्ज कराएंगे। 

कोर्ट के निर्देश से पहले जस्टिस करनन ने सुप्रीम कोर्ट की तरफ से जारी किए गए उनके ट्रांसफर के आदेश पर खुद ही स्टे लगा दिया। करनन ने ट्रांसफर करने के लिए CJI टीएस ठाकुर से लिखित सफाई भी मांगी। सुप्रीम कोर्ट के उन्हें केस दिए जाने पर रोक लगाए जाने पर करनन का कहना है, 'मेरा ज्यूडिशियल पावर अब भी मेरा पास है।' जज ने कहा, 'मैं इस मामले में खुद संज्ञान लेते (सुओ-मोटो) चेन्नई पुलिस कमिश्नर को निर्देश दूंगा कि वे एफआईआर दर्ज कराएं।' करनन ने मद्रास हाईकोर्ट के सीनियर जज, चीफ जस्टिस संजय कौल पर प्रताड़ना और अपमान करने के मामले में केस दर्ज करने की धमकी देने का आरोप लगाया था।

सुप्रीम कोर्ट ने लिया एक्शन
अपने ट्रांसफर पर खुद स्टे लगाने वाले करनन को लेकर चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया टीएस ठाकुर की अगुवाई वाली बेंच ने निर्देश दिया है कि उन्हें किसी भी तरह का कोई केस नहीं सौंपा जाए।

जस्टिस करनन ने कहा- मेरा ट्रांसफर सिफारिशी आदेश
जस्टिस करनन ने अपने ट्रांसफर के फैसले पर चीफ जस्टिस को लिखा- योर लॉर्डशिप, मैं अनुरोध करता हूं कि आप अपने सहयोगियों के माध्यम से 29 अप्रैल तक अपना लिखित स्टेटमेंट भी सबमिट करें। तब तक मेर ट्रांसफर आदेश पर स्टे लगाना ठीक रहेगा। उन्होंने अपने ट्रांसफर ऑर्डर को अस्थायी 'सिफारिश आदेश' करार देते हुए लिखा- सीजेआई को उनके न्यायाधिकार में दखल नहीं देना चाहिए। क्योंकि मैं योग्यता के आधार के एक आदेश को अंतिम रूप देने की प्रक्रिया में हूं।
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