जबलपुर। बिजली की कीमत जब बढ़ती है तो जनता के सामने नेता खूब हंगामा करते है। चीखते हैं, प्रदर्शन होता है। लेकिन जब दर बढ़ाने के लिए बिजली कंपनी प्रस्ताव मप्र विद्युत आयोग के पास भेजती है और आयोग द्वारा आपत्तियां मंगाता है तो भाजपा-कांगेस किसी भी दल के नेता को कोई ऐतराज नहीं होता। इस बार भी 29 जनवरी तक आपत्ति लगाने का वक्त था, लेकिन माननीयों ने मौन साधे रखा। गिनती के लोगों ने ही बिजली दरों के खिलाफ शिकायत दर्ज करवाई है।
शिकायतें कम नहीं
विधायकों को सबसे ज्यादा ग्रामीण इलाकों में बिजली से जुड़ी शिकायते हैं। उपभोक्ता बिजली अधिकारियों के अलावा विधायकों के पास भी अपनी गुहार लगाते हैं। ज्यादा बिल, बिजली बंद होना, ट्रांसफार्मर खराब आदि की दर्जनों शिकायतें हर रोज विधायकों के पास पहुंचती हैं फिर भी किसी को मप्र विद्युत नियामक आयोग में जनता का दर्द रखने की फुर्सत नहीं। कुछ विधायकों ने जरूर विधानसभा में बात उठाई थी, लेकिन समस्या जस की तस बनी है।
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क्या कर सकते थे
29 जनवरी तक मप्र विद्युत नियामक आयोग के पास अपनी अपत्ति दर्ज करवा सकते थे। आयोग जबलपुर, भोपाल, इंदौर में जनसुनवाई के जरिए अपत्ति सुनता है। बिजली कंपनी से जुड़ी शिकायतों पर कार्रवाई होती है। विधायक अपने क्षेत्र की समस्या सबूत समेत रखते तो बिजली कंपनी की हकीकत उजागर होती।
अब क्या- आयोग की जनसुनवाई की तारीख तय नहीं हुई है। जनसुनवाई में पहुंचकर भी सीधे अपत्ति दर्ज करवाई जा सकती है।