
शिकायतकर्ताओं के मुताबिक पुरानी रकम वापस पाने के चक्कर में लखनऊ से करीब एक हजार से ज्यादा लोगों ने दोबारा पैसा जमा किया लेकिन आज तक लोगों को एक पैसा भी नहीं मिला. फिलहाल साइबर क्राइम सेल की टीम दोबारा कंपनी में कितने लोगों ने इन्वेस्ट किया है, इसकी छानबीन कर रही है.
स्पीक एशिया ने जमाकर्ताओं का भरोसा जीतने के लिए पिछले साल 15 अगस्त 2015 को हिन्दी संस्थान में सेमिनार आयोजित किया था. इसमें संजय उर्फ राकेश सिंह बतौर मुख्य अतिथि आए थे. उन्होंने सेमीनार में फाइनेंस मिनिस्टर से पुरानी कंपनी को चालू करने की परमिशन मिलने का दावा किया था. उनके मुताबिक कंपनी का नाम बदल दिया गया है और अब यह राइजिंग स्पीक ऑन प्राइवेट लिमिटेड के नाम से रजिस्टर्ड है. गौरतलब है कि 2011 में स्पीक एशिया के खिलाफ जालसाजी का मामला दर्ज हुआ था. कंपनी ने इन्वेस्टर्स को अरबों रुपए की चपत लगाई थी. जिसके बाद कोर्ट के ऑर्डर पर कंपनी का लाइसेंस कैंसिल कर दिया गया था.