
ब्लॉक के समनपुर गांव सहित आसपास के और भी गांवों के घरों में निदेशक सुचित्रा सिन्हा की तस्वीर मिल जाएगी जो पूजा स्थान पर लगी हुई हैं। 25 से भी ज्यादा गांवों में करीब 250 से ज्यादा फैमिली इनकी पूजा 'देवी मां' के रूप में करती है। दरअसल, यहां नशे में घूमते लोगों और हैंडक्राफ्ट बनाने वाली महिलाओं की उन्होंने जिंदगी बदल दी।
सुचित्रा सिन्हा कैसे पहुंचीं यहां
साल 1988 में इन्होंने बिहार लोक सेवा आयोग का एग्जाम क्वालिफाई किया। 1990 में जमशेदपुर में डिप्टी कलेक्टर के तौर पर नियुक्ति हुई। इस पद पर रहते हुए सुचित्रा साल 1996 में एक कार्यक्रम के तहत समनपुर गांव पहुंची। यहां उन्होंने गांव की महिलाओं को हैंडीक्राफ्ट बनाते और लोगों को शराब के नशे में देखा। इसके बाद उन्होंने इस बारे में तत्कालीन उप विकास आयुक्त (डीडीसी) से चर्चा की।
जब सुचित्रा को मिली हिदायत
जब सुचित्रा ने चर्चा की तो डीडीसी ने उनका मजाक उड़ाया और उन्हें अपना काम करने को कहा। हालांकि इसके बावजूद उन्होंने कई बार गांव का दौरा किया और सबसे पहले गांव की महिलाओं को उनके हुनर के बारे में जागरूक किया। इसके बाद जब महिलाओं का भरोसा उन्होंने जीत लिया फिर उन्होंने शराब की लत छुड़ाने पर काम शुरू किया।